नई दिल्ली. लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए राज्यों के साथएक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 19 जनवरी 2021 को किया गया। वाणिज्य विभाग द्वारा किए गए इस सम्मलेन का उद्देश्य लॉजिस्टिक क्षेत्र में समन्वित तरीके से काम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक सलाहकार और सहयोगी ढांचा शुरू करना है।सम्मेलन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और उद्योग संगठनों के 175 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सम्मेलन में इस बात पर जोर रहा कि देश में लॉजिस्टिक क्षेत्र को बेहतर बनाने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दौरान लॉजिस्टिक क्षेत्रमें सुधार के लिए राज्यों को एक व्यापक 18 प्वाइंट एजेंडा भी पेश किया गया ।
राज्यों में लॉजिस्टिक सुधार के लिए शहरों में लॉजिस्टिक सुविधाओं, गोदाम बनाने की प्रक्रिया के सरलीकरण, भंडारण विकास के लिए प्रक्रियाओं को आसान करना, ट्रक पर बोझ कम करने और ट्रक ड्राइवरों की कमी को दूर करने जैसे संबंधित मुद्दों पर प्रमुख रूप से चर्चा हुई।
इस मौके पर यह फैसला किया गया कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर लॉजिस्टिक्स प्लानिंग के लिए शुरू में 50 शहरों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही ट्रक ड्राइवरों का बोझ कम करने के लिए एक योजना विकसित की जाएगी।
कई राज्यों ने पहले ही लॉजिस्टिक सुविधाओं के सुधार के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त कर लिया है। जबकि अन्य राज्य जल्द ही अपने यहां ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति करेंगे । इसके अलावा राज्य स्तरीय समन्वय समितियों का भी गठन किया जाएगा। परिवहन मंत्रालय की देखरेख करने वाले केंद्रीय मंत्रालय राज्यों के साथ समन्वय करने के लिए राज्य नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करेंगे। साथ ही वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का लॉजिस्टिक विभाग लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार के लिए , राज्यों का आकलन करने और उन्हें रैंक देने के लिए सर्वेक्षण का भी काम शुरू करेगा। रैंकिंग के लिए राज्यों को लॉजिस्टिक क्षेत्र में प्रदर्शन और डाटा के मानकों के आधार पर प्रदर्शन करना होगा। इसके अलावा लॉजिस्टिक समन्वय क्षमता में सुधार के लिए राज्यों को सहायता भी प्रदान की जाएगी। इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए शहरों के आधार पर सम्मेलन भी आयोजित कराए जाएंगे।सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, गुजरात और मध्य प्रदेश ने लॉजिस्टिक क्षेत्र में उनके द्वारा लिए गए नीतिगत कदमों के बारे में प्रस्तुतियां भी दी।
अपने संबोधन में केंद्रीय रेल, वाणिज्य और उद्योग,उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति को लेकर चर्चा जारी है, जो कि लॉजिस्टिक क्षेत्र में बेहतर समन्वय और एकीकृत विकास के लिए एक माध्यम के रूप में काम करेगी। उन्होंने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में लॉजिस्टिक टीम परिवहन, दस्तावेजीकरण और हितधारकों को एक साथ तकनीकी प्लेटफार्मों के माध्यम से सरल तरीके से काम करने के लिए प्रयास कर रही है, ऐसा होने से बिजनेस करना काफी आसान हो जाएगा।
सम्मेलन की सहकारिता की भावना की प्रशंसा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि यह कदम, वास्तव में बिजनेस समुदायों और उनसे जुड़े संबंधित पक्षों को भरोसा दिलाएगा। उन्होंने कहा यह प्रयास लॉजिस्टिक ग्राहकों की संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए है। मंत्री ने कहा कि लॉजिस्टिक का मतलब है है: सही स्थिति में – सही जगह पर – सही समय पर – सही उत्पाद – सही ग्राहक को प्राप्त करना है। लॉजिस्टिक को देश की अर्थव्यवस्था और उद्योग की जीवन रेखा बताते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बीच में, हम यह सुनिश्चित करने में सफल रहे कि किसी एक व्यक्ति को भोजन, बिजली या आवश्यक वस्तुओं की किल्लत न झेलनी पड़े। उन्होंने ट्रकों पर भारी बोझ की समस्या को समाप्त करने के लिए विशेष समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, कि इस लक्ष्य को पाने के लिए हमेंमिशन मोड में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में अपने लचीलेपन और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता को दिखाने में पूरी तरह से सक्षम हुआ है।
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने कहा लॉजिस्टिक सिस्टम देश की रीढ़ है। इसलिए इसे मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने लॉजिस्टिक लागत को 13 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी करने का आह्वान किया। ऐसा होने से भारतीय व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने,नईनौकरियां सृजित करने, भारत की रैंकिंग में सुधार होने और इसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए लॉजिस्टिक हब बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य के पास एक लॉजिस्टिक नीति होनी चाहिए और राज्य को बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना चाहिए और विकास करना चाहिए।
इस मौके पर, वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने शहरों में लॉजिस्टिक तंत्र बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में सभी संबंधित पक्षों को शामिल करने और तंत्र को संस्थागत रुप देने पर जोर देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक डिविजन और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का स्मार्ट सिटी मिशन आपस में मिलकर उन शहरों की पहचान कर सकते हैं, जहां पर लॉजिस्टिक तंत्र विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ समन्वय करने की जरूरत है। श्री पुरी ने कहा जहां भी आवश्यक होगा, वह सहायता के लिए चिन्हित किए गए शहरों के साथ सहयोग करेंगे।