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चिलिका झील में देश-विदेश से 190 प्रजाति के 12 लाख से अधिक पक्षियों का हुआ है समागम

  • सम्पन्न हुई पक्षी गणना, 111 विदेशी प्रजाति के जबकि 79 स्थानीय प्रजाति के हैं पक्षी

  •  पिछले साल की तूलना में यह संख्या 1 लाख 37 हजार 786 अधिक

  •  पक्षियों के इस स्वर्ग स्थल में सात समुंद्र पार अमेरिका से लेकर दक्षिण अफ्रिका एवं आस्ट्रेलिया से भी पहुंचा हा पक्षियों का समूह

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
एशिया की सर्ववृहत खारे पानी की झील चिलिका को पक्षियों का स्वर्ग स्थल माना जाता है। यहां न सिर्फ भारत या पड़ोसी देश बल्कि सात समुंद्र पार अमेरिका एवं अन्य कई देशों से नाना प्रजाति के पक्षी आती हैं और कुछ दिनों तक यहां रहने के बाद अपने देश लौट जाती है। पिछले सालों की तूलना में इस साल यहां रिकार्ड संख्या में विदेशी मेहमानों के आगमन पक्षियों के लिए स्वर्ग मानी गई चिलिका झील को एक बार फिर प्रमाणित किया है।
बालूगां वन्य प्राणी विभाग एवं चिलिका विकास प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में हुई पक्षी गणना के बाद मिली रिपोर्ट के मुताबिक इस साल रिकार्ड 12 लाख 42 हजार 826 पक्षियों का समागम हुआ है, वहीं पिछले साल यह संख्या 11 लाख 5 हजार 40 थी। इस तरह से पिछले साल की तूलना में इस साल चिलिका झील में 1 लाख 37 हजार 786 पक्षी अधिक हैं। उसी तरह से 15.53 वर्ग किमी. में फैले पक्षी अभयारण्य नलबण में इस साल मात्र 4 लाख 24 हजार 788 पक्षियों का समागम हुआ है। वहीं पिछले साल यहां पर 4 लाख 6 हजार 545 पक्षियों का समागम हुआ था। अर्थात इस साल नलबण अभयारण्य में भी 18 हजार 243 अधिक पक्षी पहुंचे हैं। इस साल 190 प्रजाति के पक्षी यहां पहुंचने की बात गणना से पता चली है। वहीं पिछले साल 184 प्रजाति के पक्षी यहां आए थे। इस बार अधिक 6 प्रजाति के पक्षी चिलिका झील पहुंचे हैं। इस साल जो 190 प्रजाति के के पक्षी यहां आए हैं उसमें से 111 विदेशी प्रजाति के पक्षी हैं जबकि 79 स्थानीय प्रजाति के पक्षी हैं।
जानकारी के मुताबिक नए अतिथि के तौर पर इस साल मालाड एवं फालकेटेड टील देखे गए हैं। ये पक्षी विशेष रूप से अमेरिका, दक्षिण अफ्रिका एवं आस्ट्रेलिया में दिखाई देती हैं। नलबण में केवल 110 प्रजाति के पक्षियों की पहचान हुई है। विदेशी पक्षियों में सर्वाधिक गड़वाल प्रजाति के पक्षी थे जिनकी संख्या 2 लाख 22 हजार 9, नदर्न प्रींटेल की संख्या 1 लाख 64 हजार 116, यूरासियन वीजियान प्रजाति के पक्षी 2 लाख 10 हजार 403, कमन कूट प्रजाति के 92 हजार 372 पक्षी थे। चिलिका झील की शोभा बढ़ाने वाली फ्लेमिंग गो (एरा) हंस प्रजाति की पक्षियों की संख्या में इस साल कमी देखी गई है। पिछले साल इन पक्षियों की संख्या 1350 थी जबकि इस साल यह संख्या घटकर मात्र 71 हो गई है। यह पक्षी प्रेमियों को निराश किया है। इन पक्षियों की जलक्रिड़ा चिलिका झील सौंदर्य को दुगुना कर देती है।
बालूंगां वन्यप्राणी विभाग के अधिन 5 रेंज तथा चिलिका, सातपड़ा, रम्भा, बालूंगा एवं टांगी चिलिका क्षेत्र में इन पक्षियों की गणना की गई है। विभाग की तरफ से पूरे चिलिका को 21 जोन में विभक्त कर 21 टीम नियोजित की गई थी। केवल नलबण में 6 टीम पक्षियों की गणना की है जबकि स्थल भाग में 2 एवं 13 टीम अन्य जोन तथा बालीघाट से सातभाया, रम्भा, मंगलजोड़ी से लेकर भुषुंडपुर, सोरण से लेकर नइरी, कृष्ण प्रसाद, कालीजाई से लेकर चन्द्रापुट, सातपड़ा से लेकर गम्हारी एवं गुरुबाई, अरखकुदा, गोठकुद से लेकर नुआपड़ा आदि इलाके में गणना किए हैं। पक्षी गणना करने वालों के लिए 21 नांव दी गई थी। बालूगां रेंज के अधिन नलबण में 4 जोन में सर्वाधिक पक्षी की पहचान की गई है जबकि सबसे कम रम्भा रेंज में पक्षियों की पहचान हुई है। मंगलवार सुबह 6 बजे से अपराह्न 4 बजे तक पक्षियों की गणना हुई है।
इस पक्षी गणना कार्य में बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री आफ सोसाइटी के विशेषज्ञ तथा उप निदेशक डा. एस.बालचंदन, चिलिका वन्यप्राणी वनखंड अधिकारी केदार स्वांई, एसीएफ शरत कुमार मिश्र के साथ विभिन्न विश्व विद्यालय एवं महाविद्यालय के छात्र को मिलाकर कुल 120 लोग शामिल थे।
पूरे चिलिका झील में इस साल पक्षियों की संख्या में हुई वृद्धि के बारे में डीएफओ केदार कुमार स्वांई ने कहा है कि इस साल चिलिका इलाके में पिछले साल की तूलना में चिलिका झील में जलस्तर एवं मौसम अनुकुल रहा। यहां पर पक्षियों के रहने ए​वं खाने की पर्याप्त सुविधा है। पक्षियो का झील में पक्षियों के मुक्त विचरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शायद इसी कारण से देश विदेश से हर साल यहां पक्षियों का जमावड़ा होता है।

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