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परी को न्याय एवं असंवैधानिक रूप से विधान सभा को स्थगित करने के मामले में राज्यपाल हस्तक्षेप करें- प्रदीप नायक

  •  भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

  •  सीबीआई द्वारा परी हत्या की जांच और आरोपित मंत्री अरुण साहू को बर्खास्त करने की मांग

भुवनेश्वर – ओडिशा विधानसभा को निर्धारित समय से काफी दिन पूर्व बंद कर दिए जाने के मामले को तथा परी हत्या मामले की सीबीआई जांच तथा मंत्री अरुण साहू से अरुण साहू को बर्खास्त करने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का प्रतिनिधि दल राजभवन जाकर उनके नाम ज्ञापन सौंपा।
इस बारे में जानकारी देते हुए प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने कहा कि निर्धारित समय से 30 दिन पूर्व ही विधानसभा को राज्य सरकार ने स्थगित कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में बेरोजगारी, प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितता, नरेगा योजना में अनियमितता कोरोना प्रबंधन में भ्रष्टाचार, सहकारिता मामले में भ्रष्टाचार आदि विभिन्न विषयों पर सदन में चर्चा से बचने हेतु बीजू जनता दल की सरकार ने विधानसभा को निर्धारित समय से 30 दिन पूर्व ही बंद कर दिया है। यह पहली बार हो रहा है, ऐसा नहीं है। बार-बार ऐसा हो रहा है। राज्य सरकार संविधान व लोकतंत्र को सम्मान नहीं दे रही है, इससे यह बात प्रमाणित हो रही है। इसीलिए भाजपा विधायकों ने इस संबंध में राज्यपाल स्पेशल गणेशी लाल को ज्ञापन देकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की।
नायक ने कहा कि परी हत्या के मामले में भाजपा विधायकों का दल सोमवार को उनके गांव गया था। वहां जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया। वहां से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में कृषि मंत्री अरुण साहू शामिल होने की बात कही जा रही है। पीड़िता परी के माता और पिता ने इस संबंध में आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नयागढ़ जिले के आरक्षी अधीक्षक ने इस मामले की जांच को दिशाहीन कर दिया है। स्थानीय थाना अधिकारी मामले की जांच अधिकारी ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
इस मामले में विधानसभा में भाजपा ने जोर-शोर से उठाया और मामले की सीबीआई जांच तथा मंत्री अरुण साहू से त्यागपत्र की मांग की, लेकिन सरकार ने विधानसभा में केवल बयान देकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया है। नायक ने कहा कि इस मामले में मंत्री अरुण साहू के शामिल होने के संबंध में समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित हो रही हैं। स्थानीय सरपंच के साथ मंत्री साहू की बातचीत का जो ऑडियो मिल रहा है, उसमें यह स्पष्ट हो रहा है कि इस मामले के मुख्य आरोपी बाबली नायक मंत्री साहू का रिश्तेदार है। इस मामले में मंत्री साहू ने स्थानीय सरपंच को धमकी देने के साथ-साथ आंदोलन को दबा देने की प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चियों के लिए सरकार परी रथ शुरु किया था, लेकिन एक बच्ची परी के माता-पिता न्याय से वंचित होकर अंत में लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया। यदि राज्य पुलिस ने घटना को गंभीरता से लिया होता तो यह नौबत नहीं आती।
नायक ने कहा कि इस ज्ञापन में कहा गया कि राज्य में 5000 बच्चे लापता हैं। इसके बावजूद भी पुलिस विभाग किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रही है। राज्यपाल के सामने विधानसभा को असंवैधानिक रूप से स्थगित करने के संबंध में हस्तक्षेप की मांग करने के साथ-साथ मंत्री अरुण साहू को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने व हत्या मामले की सीबीआई जांच के लिए ज्ञापन में राज्यपाल से मांग की गई है।
इस प्रतिनिधिदल में नायक के साथ विधायक दल के उप नेता विष्णु सेठी, मुख्य सचेतक मोहन माझी, वरिष्ठ विधायक जयनारायण मिश्र, विधायक सुभाष पाणिग्रही, शंकर ओराम, कुसुम टेटे, नाउरी नायक, भास्कर मढेई, ललितेंदु विद्यालय महापात्र, डा मुकेश महालिंग, प्रकाश सोरेन, भवानी भोई, नित्यानंद गोंड, आदित्य माढी शामिल थे।

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