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सदन की कार्यवाही बार बार स्थगित
भुवनेश्वर. राज्य में कुछ स्कूलों में कम छात्र होने की बात कर सात हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों को बंद करने के राज्य सरकार के निर्णय का विपक्षी भाजपा व कांग्रेस विधायकों ने विरोध किया है. इस मुद्दे पर विधायकों ने सदन में हंगामा किया जिस कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा. विधायकों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को प्रथमार्ध में तीन बार स्थगित हुई. उधर विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पत्र ने विद्यालय एवं शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में एक पूर्ण बयान सदन में दें.
कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है. लेकिन राज्य सरकार राज्य के अनेक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है, इसका सबसे अधिक प्रभाव पश्चिम ओडिशा के विद्यालयों पर पड़ेगा. बच्चों को अब अपने गांव से दूर जाकर पढ़ना होगा. वे इस कारण पढ़ाई छोड़ सकते हैं. इसलिए यह निर्णय सही नहीं है. कांग्रेस के विधायक तारा प्रसाद ने कहा कि यदि राज्य सरकार ने इस निर्णय नहीं किया. उसके बाद में विधानसभा समाप्त होने के पश्चात केबीके इलाकों बंद का आयोजन होगा. कांग्रेस विधायक संतोष सिंह सलूजा ने भी राज्य सरकार के निर्णय का विरोध किया. विपक्ष के उप नेता विष्णु सेठी ने कहा कि स्कूलों को बंद करने का निर्णय को वापस लिया जाए.
लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर किसी प्रकार का निर्देश न देने के कारण विधायकों ने हंगामा किया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने विद्यालय शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया कि 2 दिनों के अंदर इस बारे में सदन में बयान दें. इस बारे में कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि सदन में मंत्री के बयान के बाद इस पर चर्चा करने का अवसर नहीं मिलेगा. इस कारण विधानसभा अध्यक्ष के चैबर में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए तथा विभागीय मंत्री व सचिव को बुला कर चर्चा करने के साथ साथ आज ही इस पर निर्णय किया जाए. प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने भी इसका समर्थन किया. संसदीय मामलों के मंत्री विक्रम केशरी आरुख ने कहा कि यह समस्या केवल विरोधी दल का नहीं है यह राज्य की समस्या है. इस लिए राज्य सरकार इसमें आवश्यक कार्रवाई करेगी. लेकिन प्रतिपक्ष के विधायकों ने हंगामा जारी रखा. इस कारण विधानसभा अध्यक्ष ने दूसरी बार रूलिंग देते हुए कहा कि विद्यालय शिक्षा मंत्री रविवार को इस संबंध में सदन में पूर्ण बयान दें.