अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर एहतियात के रुप में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने छठव्रतधारियों से इस वर्ष छठ महापर्व अपने-अपने घर पर ही मनाने की अपील की थी, जिसको ध्यान में रखकर भुवनेश्वर में पहली बार सभी छठव्रतधारियों ने अपने-अपने घर पर ही पोखर तैयार कर 20 नवंबर को सायंकाल 4.30 बजे से लेकर 05बजे तक अपने-अपने घरों में ही अस्ताचलगामी भगवान सूर्यदेव को सायंकाल का पहला अर्घ्य पूरी सादगी से दिया. मिली जानकारी के अनुसार, 21 नवंबर को सुबह में 6 बजे के भीतर ही उदीयमान सूर्यदेव को दूसरा अघ्र्य और अंतिम अर्घ्य देकर व्रतधारी अपने निर्जला व्रत को तोड़ेगे.
मिली जानकारी के अनुसार, 2020 के आस्था और विश्वास के चार दिवसीय महापर्व का आरंभ भुवनेश्वर में 18 नवंबर को ‘नहाय-खाय’, 19नवंबर को खरना के साथ संपन्न हुआ, जबकि आज सभी व्रतधारियों ने अपने-अपने परिवार के सदस्यों के साथ सूर्य को सायंकाल का पहला अघ्र्य दिया. स्थानीय यूनिट-3 राममंदिर के मुख्य पुजारी श्री महारुद्र झा के अनुसार, छठ महापर्व प्रकृति उपासना का एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे बिहार में बड़े आकर में मनाया जाता है. बिहार के औरंगाबाद में भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर चार दिवसीय यह महापर्व बड़े आकर में मनाया जाता है. उनके अनुसार 20 नवंबर को अस्ताचलगामी तथा 21 नवंबर को उदीयमान सूर्यदेव तथा उनकी बहन छठ परमेश्वरी को भोर का अंतिम अघ्र्य देकर स्त्री-पुरुष संतान प्राप्ति,चर्मरोग से मुक्ति तथा कुमारी कन्याएं अपने लिए सुंदर,कुलीन तथा सभी प्रकार से धन-धान्य से परिपूर्ण योग्य वर की कामना करतीं हैं और उनसबकी मनोकामना सूर्यदेव तथा छठ परमेश्वरी अवश्य पूरा करते हैं. बिश्वास संस्था के अध्यक्ष संजय झा के अनुसार पिछले अनेक वर्षों से भुवनेश्वर में कुआखाई नदीतट पर सामूहिक रुप से छठ महापर्व अनुष्ठित होते रहा है, लेकिन इस वर्ष आयोजकों से ओडिशा के मुख्यमंत्री की अपील पर घर पर ही सभी छठप्रतधारियों ने पूजन किया. पण्डित महारुद्र झा के अनुसार महाभारतकाल में कुंती ने भी संतानप्राप्ति के लिए छठव्रत किया था. सच तो यह भी है कि आदिकाली से ही ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर चर्मरोगों से मुक्ति के लिए विश्वविख्यात है जहां पर प्रातःकालीन सूर्य की रोशनी का सेवनकर अनेक चर्मरोगी मुक्त हो चुके हैं जबकि लगभग तीन दशकों से ओडिशा के सभी नगरों में जहां पर बिहारी कारोबारी हैं वे छठ महापर्व मनाते हैं.
अब तो ओडिशा में छठ के ठेकुआ प्रसाद पाने की जिज्ञासा सभी ओडिया भाई-बहनों को रहती है, इसके सेवन से वे भी मनवांछित फल प्राप्त करते हैं. पण्डित महारुद्र झा के अनुसार इस वर्ष का छठ भुवनेश्वर छठव्रतधारियों के लिए यादगार रहेगा, जिसमें पहली बार कोरोना के चलते यह महापर्व भुवनेश्वर में घर ही मनाया गया. गौरतलब है कि 18 नवंबर 2020 को नहाय खाय था. 19 नवंबर, 2020 को खरना था. आज अस्ताचलगामी सूर्यदेव का पहला अर्घ्य था, जबकि 21 नवंबर 2020 को सुबह में 6.00 बजे दूसरा और अंतिम अघ्र्य होगा. बिश्वास संस्था के महासचिव चन्द्रशेखर सिंह, बिश्वास के सलाहकार डा अभय कांत पाठक और पण्डित महारुद्र झा आदि ने पूरी आस्था और विश्वास के साथ आज अपने-अपने घर पर ही निर्जला छठव्रतधारियों ने सूर्यदेव तथा छठ परमेश्वरी को कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी को पहला अर्घ्य दिया.