भुवनेश्वर. केंदुझर जिले के पाटणा पुलिस स्टेशन की पूर्व इंस्पेक्टर-इन-चार्ज संध्यारानी जेना पर हिरासत में यातना के मामले में गाज गिरी है. ओडिशा राज्य मानवाधिकार आयोग ने हिरासत में यातना देने के मामले में उनको दोषी ठहराया है. साथ ही किसी भी पुलिस स्टेशन में पोस्टिंग या अगले दो दिनों के लिए फील्ड ड्यूटी की तैनाती पर रोक लगा दी है. साथ ही आयोग ने सरकार को भविष्य में गिरफ्तारी से निपटने के लिए जेना को प्रशिक्षण देने की भी सिफारिश की है. ओएचआरसी का यह आदेश महिला पुलिस अधिकारी द्वारा एक युवक की हिरासत में यातना के संबंध में आया है, जिसका वीडियो इस साल मई में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
ओडिशा राज्य मानवाधिकार आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि जेना को हिरासत में हिंसा का दोषी पाया गया है. इसलिए उन्हें दो साल की अवधि के लिए किसी भी क्षेत्र में ड्यूटी नहीं दी जानी चाहिए और न ही किसी पुलिस स्टेशन में तैनात किया जाना चाहिए. जेना को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए कि आरोपी व्यक्तियों और असामान्य परिस्थितियों में कैसे व्यवहार किया जाए. साथ ही गृह विभाग चाहे तो अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकता है और मामले में तय मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में देखा गया था कि थाना प्रभारी संध्यारानी थाने के अंदर एक युवक को बेरहमी से पिटाई कर रही हैं. इस पर मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए आयोग ने राज्य सरकार को पीड़ित को 10,000 अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने और आईआईसी के वेतन से राशि वसूलने का निर्देश दिया था. जानकारी के अनुसार, पीड़ित युवक तलासरुआ गांव का राजू महंत था और एक भूमि विवाद के सिलसिले में उसे थाने लाया गया था. उसे कोर्ट भेजने से पहले थाना प्रभारी ने जमकर पिटाई की थी.
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