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कटक में आयकर अपिलैट ट्रिब्युनल भवन व आवासिक परिसर का प्रधानमंत्री ने किया उदघाटन
कटक। पहले की सरकारों के समय टैक्स टेरोरिजम की शिकायतें होती थीं, लेकिन आज देश उसे पीछे छोड़कर टैक्स ट्रैन्सपरेंसी की तरफ बढ़ रहा है। टैक्स टेरोरिजम से टैक्स ट्रैन्सपरेंसी का ये बदलाव इसलिए आया है, क्योंकि हम रिफार्म, परफर्स व ट्रैंसफार्म की अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आयकर अपिलैट ट्रिब्युनल (आईटीएटी ) के कटक बैंच का कार्यालय व आवासिक परिसर को वर्चुअल तरीके से उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये बातं कहींं।
उन्होंने कहा कि हम नियम, प्रक्रिया में सुधार कर रहे हैं तथा इसमें तकनीकी का भरपूर मदद ले रहे हैं। साफ नीयत व स्पष्ट इरादों के साथ ससरकार काम कर रही है। साथ ही साथ सरकार कर प्रशासन के माइंटसेट का भी रुपांतरण कर रही है। उन्होंने कहा कि अब सरकार की सोच ये है कि जो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल हो रहा है, उस पर पहले पूरी तरह विश्वास करो। इसी का नतीजा है कि आज देश में जो रिटर्न फाइल होते हैं, उनमें से 99.75 प्रतिशत बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर लिए जाते हैं। ये बहुत बड़ा बदलाव है जो देश के टैक्स सिस्टम में आया है। गुलामी के लंबे कालखंड ने कर दाता व कर लेने वाला दोनों के रिश्तों को शोषित और शोषक के रूप में ही विकसित किया। दुर्भाग्य से आज़ादी के बाद हमारी जो टैक्स व्यवस्था रही उसमें इस छवि को बदलने के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे, वो उतने नहीं किए गए। जब आम जन से वो टैक्स ले तो किसी को तकलीफ न हो, लेकिन जब देश का वही पैसा नागरिकों तक पहुंचे, तो लोगों को उसका इस्तेमाल अपने जीवन में महसूस होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब बादल बरसते हैं, तो उसका लाभ हम सभी को दिखाई देता है, लेकिन जब बादल बनते हैं, सूर्य पानी को सोखता है, तो उससे किसी को तकलीफ नहीं होती। इसी तरह शासन को भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब वो देखता है कि विभाग ने खुद पुराने विवाद को सुलझा दिया है, तो उसे पारदर्शिता का अनुभव होता है। जब उसे फेसलेस अपील की सुविधा मिलती है, तब वो कर पारदर्शिता को और ज्यादा महसूस करता है। जब वो देखता है कि आय कर कम हो रहा है, तब उसे कर पारदर्शिता अनुभव होती है। आज का टैक्सपेयर पूरी टैक्स व्यवस्था में बहुत बड़े बदलाव और पारदर्शिता का साक्षी बन रहा है। जब उसे रिफंड के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ता, कुछ ही सप्ताह में उसे रिफंड मिल जाता है, तो उसे पारदर्शिता का अनुभव होता है।
ओडिशा कला व संस्कृति की तपोभूमि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में ओडिशा को कला संस्कृति की तपोभूमि बताया। प्रभु श्रीजगन्नाथकी धरती से में राज्य की जनता व देश की जनता को यह बताना चाहता हूं कि वे वोकल फार लोकल बनें। स्थानीय लोगों द्वारा तैयार किये गये चीजों को खरीदें। आगामी दीपावली ही क्यों पूरे 365 दिन स्थानीय उत्पादों को खरीदें। उससे हम देख सकेंगे कि देश के अर्थव्यवस्था कैसे आगे बढेगी। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान व अन्य लोग भी शामिल हुए।