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परिवारवाद तब कहा जाता जब किसी अयोग्य व्यक्ति को अवसर दिया जाता : मानस कुमार दत्त

गोविंद कुमार राठी, बालेश्वर

मेरा अवसर परिवारवाद तब कहा जाता, जब किसी अयोग्य व्यक्ति को अवसर दिया जाता. मैं बचपन से ही भाजपा से जुड़ा हुआ हूं. इसकी शाखाओं से जुड़ा हुआ हूं. हालांकि मेरे सक्रिय राजनीति में आने की सोच नहीं थी, लेकिन परिस्थितियों और समय ने मेरे पिता के सपनों को साकार करने के लिए इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है. यह बातें यहां सदर उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मानस कुमार दत्त ने विशेष बातचीत के दौरान कहीं. मानस कुमार दत्त दिवंगत विधायक मदन मोहन दत्त के बेटे हैं. पेश है चुनाव के दौरान उठ रही चर्चाओं के बीच उनके साथ की गयी बातचीत के प्रमुख अंश.

सवाल. भाजपा ने आपको बालेश्वर से मैदान में उतारा है. आपने घोषणा करने से पहले प्रचार अभियान शुरू कर दिया था. क्या आपको कोई अग्रिम सूचना मिल चुकी थी?

जवाब. भाजपा एक जीवंत संगठन है. यह 365 दिन, 24 घंटे के आधार पर जनता की सेवा के लिए समर्पित है. इसलिए चाहे वह चुनाव हो या न हो, उम्मीदवार हो या नहीं, पार्टी के कार्यकर्ता लगातार जनसंपर्क अभियान में शामिल रहते हैं. उस दृष्टिकोण से मैं उन लोगों के साथ भी रिश्ते में हूं, जो अविभाज्य हैं. मैं इस बात से सहमत नहीं होता कि यदि आप इसे चुनाव अभियान कहते हैं. एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में भाजपा के उम्मीदवार का चयन किसी अन्य राजनीतिक दल की तरह व्यक्तिगत नहीं है. निर्णय पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा किया जाता है. संभावित उम्मीदवारों को अग्रिम सुचना देने का कोई प्रावधान नहीं है.

सवाल. सत्तारूढ़ बीजद ने बीजेपुर और पटकुरा में उपचुनाव जीत हासिल की.  इसी तरह के परिणाम होने कि चर्चा बालेश्वर और तीर्थोल में है. आप इस रणनीति के साथ कैसे मुकाबला करेंगे?

जवाब. कृपया बालेश्वर सदर उपचुनाव की तुलना अन्य उपचुनावों से न करें. व्यास कवि फकीरमोहन की मिट्टी बालेश्वर है. इसके जागृत लोग इतिहास बनाना जानते हैं. किसी भी प्रवृत्ति का पालन नहीं करते हैं. पूरा निर्वाचन क्षेत्र मेरे दिवंगत पिता के लिए एक परिवार रहा है. यह चुनाव मैं नहीं लड़ रहा हूं. वह बड़ा परिवार लड़ रहा है. आज हर घर में बधाई और आशीर्वाद देने की परंपरा है. बलिदान से बेहतर परंपरा क्या हो सकती है?

सवाल. भाजपा प्रत्याशी के लिए पूर्व मंत्री रघुनाथ मोहंती के नाम की भी चर्चा हो रही थी. उनका समूह आपकी मदद कर रहा है?

जवाब. रघुनाथ मोहंती एक वरिष्ठ और अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं. इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि वह मीडिया में कई बार सुर्खियां में रहते हैं, लेकिन वह मेरे राजनीतिक मार्गदर्शक हैं. वह अब चुनाव समिति के अध्यक्ष हैं, जिनके पास चुनाव की देखरेख की जिम्मेदारी है. वह इस लड़ाई के कमांडर-इन-चीफ हैं. भारतीय जनता पार्टी एक अनुशासित पार्टी है. इसका कोई संप्रदायवाद नहीं है. सभी एक विस्तारित परिवार के सदस्य हैं.

सवाल. दिवंगत नेता के परिवार के सदस्यों को पार्टी का टिकट मिलने से राजनीति में परिवारवाद बढ़ रहा हैं. इस बारे में आप क्या कहेंगे?

जवाब. परिवारवाद तब कहा जाएगा, जब व्यक्ति को अवसर दिया जा रहा हो, वह अयोग्य हो. एक बच्चे के रूप में मैं सरस्वती शिशु मंदिर, आरएसएस और एवीबीपी में सक्रिय रूप से शामिल था. इसलिए मैं शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी के साथ हूं. कृपया इसे परिवारवाद से न जोड़ें.

सवाल. नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद आप रो पड़े थे. आपकी आंखों में आंसू क्यों आ गए?

जवाब. मेरे दिवंगत पिता का बालेश्वर सदर निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ एक ऐसा प्रेम संबंध था, जिसे भाषा में वर्णित नहीं किया जा सकता है. शब्दकोश में इसके लिए कोई शब्द नहीं है. अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके कई सपने थे. उनका बीमार स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख सभी उनके पीछे थे. उन्होंने इस क्षेत्र के लिए दिन-रात काम किया. यहां के लोगों के लिए काम किया. आज उस जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता की विरासत मेरे सिर पर है. जब मैंने आवेदन किया तो यह सब मुझे भावुक कर गया. मेरी आंखों में आंसू आ गए.

सवाल. चर्चा है कि आप सहानुभूति दिखाकर वोट लेने की योजना कर रहे हैं. क्या यह सच है ?

जवाब. मैं एक छोटा सा निवेदन करूंगा. कृपया सहानुभूति मतों जैसे सीमित उद्देश्य के भीतर बालेश्वर के लोगों के साथ मेरे स्वर्गीय पिता के रिश्ते को न बांधें.

सवाल. पूर्व सांसद रवींद्र जेना के समर्थक बीजद उम्मीदवार के चयन से असंतुष्ट थे. चर्चा है कि बीजद की तरफ से इसका समाधान किया गया है. बीजद सदर ब्लॉक अध्यक्ष को भी एक बार अपनी ओर लेने में भी सफल रही थी. अरुण दे भी बीजद में शामिल हो गए हैं. ये सब आप के खिलाफ लड़ेंगे. वोट बढ़ाने के लिए आपके पास कौन है?

जवाब. एक निष्पक्ष मीडिया के प्रतिनिधि के रूप में आपको बालेश्वर सदर निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की अपनी ताकत के बारे में पता होना चाहिए. केंद्रीय मंत्री प्रताप षाड़ंगी और मेरे दिवंगत पिता की निर्मल व सरल जीवनशैली देशभर में विख्यात है. मेरी पार्टी के नेताओं की वह शुद्ध छवि मेरे लिए सबसे बड़ा हथियार है. बालेश्वर हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए एक प्रयोगशाला है, जो शक्ति और संपत्ति अधिग्रहण के खिलाफ एक आदर्श सामान्य जीवन की परिणति का प्रतिनिधित्व करती है. यहां की जनता इस परंपरा को अति सावधानी से आगे ले रही है. इसी परंपरा से यह चुनाव में लड़ रहा हूं. मेरे साथ अन्य सभी उम्मीदवार भी सिर्फ नाम मात्र हैं.

सवाल. कहा जा रहा है कि इस चुनाव में धन और शराब का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाएगा. क्या पारदर्शी और निस्पक्ष चुनाव संभव है.

जवाब. ओडिशा में पारदर्शी और स्वतंत्र चुनाव में सबसे बड़ी बाधा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग है. बीजद के आचार संहिता के उल्लंघन में मदद के लिए सरकार के आह्वान के बारे में बहुत कम लोगों को पता है. इसलिए हम चुनाव प्रबंधन पर कड़ी नजर रख रहे हैं. हम अपनी संगठनात्मक ताकत से ऐसे जघन्य प्रयासों को विफल करने में सक्षम हैं. हमने अतीत में इसे प्रमाणित करके दिखाया है. इस बार भी करेंगे.

सवाल. विधायक रहते समय आपके पिता ने अपने क्षेत्र में क्या किया था कि आप लोगों को दिखाकर उनसे वोट मांगने जाएंगे?

जवाब. विधायक बनने के एक साल के भीतर मेरे पिता की मौत हो गई. इस दौरान उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए अथक परिश्रम किया. बालेश्वर शहर में सड़क निर्माण, बाढ़ नियंत्रण, सड़क सुधार और सौंदर्यीकरण जैसी विभिन्न परियोजनाओं पर काम उनके समय में संभव हुआ. उन्होंने बालेश्वर और उनके निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों को विधानसभा में उठाया. वह तब तक लोगों के साथ रहे जब तक उन्होंने अंतिम सांस ली.

सवाल. बालेश्वर क्षेत्र के लोगों की मुख्य समस्याएं क्या हैं और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है?

जवाब. बालेश्वर में मुख्य मुद्दा कानून व्यवस्था की स्थिति और नशे का अवैध कारोवार है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बालेश्वर जैसा सभ्य शहर आज मादक पदार्थों की तस्करी का केंद्र है. चर्चा यह भी है कि इस गिरोह को पीछे से राजनीतिक संरक्षण मिला है. एक थाना अधिकारी के संपर्क इन नशे के कारोबारियों के साथ होने की बात तो पूरे चर्चा में है ही एवं एक पुलिस अधिकारी अभी तक फरार हैं. बालेश्वर को नशा मुक्त करना एवं कानून व्यवस्था कि स्थिति में सुधार लाना मेरी प्राथमिकता होगी. एक अन्य महत्वपूर्ण पहलु बालेश्वर क्षेत्र में मत्स्य और कृषि उत्पादों की बाजार प्रणाली है. यह आश्वस्त है कि 452 किलोमीटर लंबे दीघा-गोपालपुर तटीय राजमार्ग को प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम में शामिल किया गया है. इस पर 7,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इससे क्षेत्र की मछली और कृषि उत्पादों को धामरा और पारादीप बंदरगाहों तक आसानी से पहुँचाया जा सकेगा. पिछले पांच वर्षों से बालेश्वर शहर को अमृत योजना में शामिल किया गया है, लेकिन शहर में एक छोटे से पार्क के विकास के अलावा कोई अन्य कार्यक्रम सफल नहीं हुआ है. बूढ़ाबलंग नदी से पाइप पानी की आपूर्ति की मूल योजना को उलट दिया गया है. बालेश्वर को मोदी की अमृत योजना के लाभ से वंचित किया गया है. इसके लिए प्रशासनिक मनमानी और निष्क्रियता से बालेश्वर नगरपालिका को बचाने की आवश्यकता है. वर्षों से नगरपालिका परिषद और पंचायत समितियां अपने स्वयं के संसाधनों के अरबों खर्च करने में सक्षम नहीं हैं. केंद्रीय अनुदान पड़ा रहता है, जबकि जनता को उनका हक नहीं मिलता है. नगरपालिका और पंचायत समितियों पर क्या खर्च किया जा रहा है, इसका हिसाब नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा भी कई अन्य समस्याएं हैं. इन सबको चुनावी प्रसंग बनाकर जनता के निकट ज्यादा तथ्यों के सहित सामने रखा जाएगा.

सवाल. कोविद नियमों के बीच उपचुनाव होना तय है. प्रचार के लिए आप किस रणनीति का उपयोग करेंगे?

जवाब. कोरोना दिशानिर्देश सरकार ने जारी किया है. हमें सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि हम घर-घर जनसंपर्क कर रहे हैं. हम मास्क,  सेनिटाइज़र और सामाजिक दूरी का उपयोग करते हैं. हम सोशल मीडिया को अपने मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

सवाल. क्या आपकी राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने की इच्छा थी या यह समय और परिस्थितियों ने मजबूर किया?

जवाब. मैं एक बच्चे के रूप में राजनीति में शामिल हुआ था, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं सक्रिय राजनीति में शामिल होऊंगा. यह समय और परिस्थितियों की देन है कि मुझे यह जिम्मेदारी इसलिए मिली कि मैं अपने पिता के सपने को साकार कर सकूं.

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