तन्मय सिंह, राजगांगपुर
विकलांक राजू सतनामी से कहीं अधिक विकलांग है प्रशासनिक तंत्र. जानकारी मिलने के बाद भी प्रशासन इसकी मदद को सामने नहीं आया है और ना ही विकलांगों के लिए दी जाने वाले ट्राईसाइकिल दी गयी है और ना ही किसी प्रकार आर्थिक मदद की पहल की गयी है.
स्थानीय नगरपालिका के वार्ड नंबर छह में रहने वाला विकलांग राजू सतनामी (३०) सुंदरगढ़ एआरसी विभाग व प्रशासन की उदासीनता के कारण दिक्कतों का सामना करने पर मजबूर है. उम्र के इस पड़ाव में जिसे परिवार का बोझ उठाना चाहिए, वह खुद ही शारीरिक अवस्था के कारण जूझ रहा है. 19 साल पहले 2001 में राजू के बांये पैर में सेप्टिक हो जाने से उसका पैर काट दिया गया, लेकिन राजू ने हार नहीं मानी. रोजमर्रा जिंदगी की जरुरतों को पूरा करने के लिए उसने संघर्षभरी परिस्थितियों से मुकाबला करने का सिलसिला जारी रखा. इस कठिन संघर्ष के दौरान उसे सिर्फ ७०० रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई, जो राजू सतनामी के लिए प्रर्याप्त नहीं था. घर पर उसके पिता मनु सतनामी और मां कुमारी सतनामी को अपने बेटे की चिंता खाए जा रही थी. बेबस विकलांग राजू माता-पिता के दुःख का कारण बनने से उसके मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना जाग गई. राजू घर से दो किलोमीटर दूर अपनी लाठी के जरिए चलकर ट्रेलिंग का काम एक दुकान पर करने लगा. इस काम से मिलने वाले वेतन से घर का खर्च उठाने की कोशिश करने लगा. गत 19 सालों से अपनी लाठी के मार्फ्त से बिना किसी की सहायता लिए वर्तमान समय में राजू एक खुद्दारी एवं स्वाभिमान के साथ अपना संघर्ष जारी रखें हुए है. सरकार विकलांगों के लिए ढेर सारी योजनाओं की शुरुआत कर रखी है. इसके बाद भी आज तक राजू सतनामी को इस योजना से वंचित कर दिया गया है, जो जिला प्रशासन की विकलांगता की ओर खुला इशारा करता है. वहीं दूसरी ओर सुंदरगढ़ जिले में अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र (एआरसी) रहने के बावजूद विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी पर एक सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. राजगांगपुर एक औद्योगिक क्षेत्र सहित नगरपालिक इलाका है. मंत्री-विधायक का आना-जाना लगा रहता है. विभिन्न वार्डों में जनप्रतिनिधियों के रहने के बाद भी अभी तक किसी ने भी राजू सतनामी की सुध नहीं ली और ना ही विकलांग को मिलने वाली सुविधा उपलब्ध कराई. इस कड़ी का सबसे अहम पहलू यह है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों को जानकारी मिलने के बाद भी अभी तक राजू सतनामी को आने-जाने के लिए विकलांग को मिलने वाली ट्राईसाइकिल भी नहीं दी गयी.