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डंडे से वायरस नहीं डरता, कोविद एक्ट के नाम पर चालान कटौती बंद हो? एक पीड़ित की पीड़ा…

 

शैलेश कुमार वर्मा, कटक

यह बात पुलिस की प्रताड़ना को झेल चुके एक व्यक्ति ने उठायी है. आज उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन के बयान, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि कोरोना का सामाजिक संक्रमण हो चुका है, का हवाला देते हुए कहा कि यह तो तय हो गया है कि आदमी भले ही डंडे से डर जाये, लेकिन वायरस नहीं डरता है. उसने कहा कि लाकडाउन और शटडाउन तो हुआ था, इस दौरान लोगों की जांच इस तरह हो रही थी, जैसे मानों वह कोरोना को पाकेट में रखकर ले जा रहे हैं. कभी ऐसी जांच चोर-उच्चकों और बदमाशों को पकड़ने के लिए नहीं की जाती है. इससे जो परेशानियां हुईं, वह सब ने झेली. अर्थव्यवस्था का जो बंटाधार हुआ वह अलग. लेकिन क्या हुआ? आज कोरोना का सामाजिक संक्रमण तो हो ही चुका है.

इसके बावजूद भी प्रशासन डंडे से कोरोना को डराना चाहता है. उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि वायरस को पकड़ना तो दूर उसे देखा भी नहीं जा सकता है. ऐसी स्थिति में कोविद एक्ट के उल्लंघन के नाम पर अब जो नौटंकी चल रही है, उसे कम से कम बंद कर दिया जाना चाहिए. छोटे-छोटे दुकानदारों को पहले बाजारों से उठाकर सड़कों पर बैठाया और अब भगा रहे हैं, चालान काट रहे हैं. अब ज्यादातर लोग भी सड़क किनारे ही दुकानों से खरीदारी कर रहे हैं, ताकि बाजार में भीड़ से बचा जा सके. ऐसे में अब सड़क किनारे बैठने वाले दुकानदारों पर अवैध कब्जा का आरोप लगाकर पुलिस चालान काट रही और उसे भगा रही है. नींबू बेचने वालों से भी चालान काटा जा रहा, जो दो वक्त की रोटी की तलाश में निकला होता है. आखिर यह कब तक चलेगा. दुकान में कोई भी नहीं होता है, पुलिस आती है और मास्क नहीं पहनने के नाम पर चालान काट जाती है. गजब है. अपनी नाकामयाबी और नामसमझी का खामियाजा चालान से भुगतान करने का प्रयास…? गजब हाल है.

नाम गुप्त रखने का आग्रह करते हुए इस पीड़ित ने कहा कि सरकार और प्रशासन को इतनी बात तो अब तक समझ में जरूर आ जानी चाहिए कि वायरस को डंडे से डराकर नहीं रोका जा सकता है, इलाज की व्यवस्था और दवाओं से कोरोना को रोका जा सकता है. इसलिए पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह यह सब नौटंकी बंद करे. पीड़ित ने यह भी पूछा कि क्या प्रशासन इसका जवाब देगा कि मंत्री और विधायक क्यों संक्रमित हुए?  ये सभी तो घरों में बंद थे. पुलिस प्रशासन के जवान क्यों संक्रमित हुए, इन्होंने तो कोविद के सभी नियमों का पालन किया था, सामाजिक संक्रमण क्यों हुआ, लाकडाउन और शटडाउन तो हुआ था…?

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