संपादकीय
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टूटते रिश्ते, बिखरते परिवार या सामाजिक भाव
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संबंधों को जोड़ने की लड़ाई कौन लड़ेगा?
हेमंत कुमार तिवारी कटक,
कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जिस तरह के घटनाक्रम उपजे हुए हैं, उससे समाज में एक विघटनकारी परिदृश्य सृजित होता दिख रहा है। नामांकन लेने की प्रक्रिया के दौरान 5 प्रत्याशियों का आना और इसके बाद दोस्ती का टूटना, कटक मारवाड़ी समाज में लोगों को झकझोर कर रख दिया है। सुबह से शाम तक यह मुद्दा लोगों के जेहन में किसी न किसी रूप में चर्चे के रूप में उतर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या समाज टूट जाएगा? इसे लेकर सभी चिंतित दिख रहे हैं, चाहे वह निवर्तमान अध्यक्ष हों या प्रत्याशी। हाल ही में एक साक्षात्कार में निवर्तमान अध्यक्ष विजय खंडेलवाल भी चिंतित दिखे कि समाज किस ओर जा रहा है। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके वह पुराने दोस्त अपनी राह बदल चुके हैं, इसका दर्द उनके साक्षात्कार के शब्दों में झलक रहा था। इस दौरान उन्होंने जिक्र किया था कि मैंने किसी भी चेक पर हस्ताक्षर नहीं किए और ना ही बैंक के खाते को चेक किया, इसका तात्पर्य झलकता है कि उनके और उनकी टीम के बीच इतने घनिष्ठ संबंध थे कि कहीं भी रत्तीभर शक की गुंजाइश नहीं थी। अगर शक की गुंजाइश होती तो वह ऐसा नहीं करते। हमने भी अक्सर उनसे यही सुना है कि उनकी टीम की बदौलत ही आज वह इस कदर समाज की सेवा कर पा रहे हैं। परिस्थितियां क्यों बदली, कैसे बदली, इसे लेकर वह भी चिंतित हैं, वे लोग भी चिंतित हैं, जो चुनाव मैदान में हैं, और वे लोग भी चिंतित हैं जो इस चुनाव से काफी दूर खड़े हैं।कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ गलतफहमियां जरूरी हैं, कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ ऐसा जरूर हुआ है, जिससे दोस्तों के दिल को आघात पहुंचा है और संवादहीनता के कारण समाज आज इस मुकाम पर आ खड़ा हुआ है कि सभी सदस्य चिंतित दिख रहे हैं। अक्सर बात करने से बात बनती है बिगड़ती नहीं और इसी को ध्यान में रखते हुए समाज के कई सदस्यों ने टूटते संबंधों को जोड़ने के लिए प्रयास भी शुरू कर दिया है, यह प्रयास काबिल-ए-तारीफ है। वह जीत किस काम की होगी कि जब समाज ही टूट जाएगा, वह जीत किस काम की होगी, जो संबंधों के बीच दरार डाले, वह जीत किस काम की होगी जब अपने ही दोस्त अलग राह चलने लगेंगे, वह जीत किस काम की होगी, जब विश्वास अविश्वास के कटघरे में खड़ा होगा। जीत तो उसमें होगी दोस्तों, जिसमें इन सभी की गुंजाइश शून्य होगी। जीत दिल को जीतना है, ना कि समाज और संबंधों को तोड़ना है, लेकिन सवाल यह है कि इन संबंधों को टूटने से कौन बचाएगा?
अक्सर लोग कहते हैं कि पत्रकारिता आक्रामक रुख इसलिए अपनाती है या लोग करते हैं जिससे उनके बैनर की लोकप्रियता और चर्चा पाठकों के बीच बढ़ सके, लेकिन कलम का काम सिर्फ संबंधों को तोड़ना ही नहीं है, अपितु कलम का काम संबंधों और समाज को जोड़ना है। इतिहास इसका गवाह है। एक सकारात्मक पत्रकार के दृष्टिकोण से हम उन सभी लोगों से आह्वान करते हैं कि इस टूटते समाज को बचाने के लिए एकजुट हो जाएं और भाईचारे के लिए विख्यात कटक की गरिमा को कायम रखते हुए समाज की एकता को स्थापित करें। वह हर एक व्यक्ति प्रयास करे, जो इस समाज से किसी न किसी रूप से जुड़ा हुआ हो। मैं तो एक पत्रकार हूं और लोगों की पीड़ा मुझ तक आ रही है। मुझे भी अब ठीक नहीं लग रहा है कि एक समाज सिर्फ कुर्सी की होड़ में टूट जाए। हम स्वस्थ समाज के गठन पर विश्वास करते हैं। हम सभी लोगों से आग्रह करते हैं और विश्वास करते हैं कि आप कटक मारवाड़ी समाज की एकता को कायम रखेंगे और असल जीत हासिल कर समाज को एक नई दिशा देते हुए सेवा कार्य को आगे बढ़ाएंगे।