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शाम होने के कारण नहीं दिया जा सका गार्ड ऑफ ऑनर – विधि मंत्री
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मंत्री का बयान हास्यास्पद, सरकार क्षमायाचना करे – कांग्रेस

भुवनेश्वर. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष तथा वरिष्ठ राजनेता शरत कर के निधन के बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर न दिये जाने के मुद्दे पर राज्य में राजनीति गरमा गई है. इस मामले में विपक्ष द्वारा हमला बोले जाने के बाद आज विधि मंत्री प्रताप जेना ने इस पर स्पष्टीकरण दिया. उधर, कांग्रेस ने मंत्री स्पष्टीकरण को बच्चों जैसी बयान बता कर इस मामले में राज्य सरकार से क्षमायाचना की मांग की है. विधि मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि स्वर्गीय शरत कर के निधन के बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देने की सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी थीं, लेकिन शाम होने के कारण गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सका. उन्होंने कहा कि कोविद होने के कारण उनके पार्थिव शरीर को विधानसभा में नहीं लाया जा सका. उनके परिवार के लोगों के इच्छानुसार सब कुछ किया गया. मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री अशोक पंडा को उनके अंतिम दर्शन करने के लिए भेजा था. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा कि मंत्री बच्चों जैसी बातें कर रहे हैं. वह मेरे सामने बच्चे हैं. उनकी आयु मेरे पुत्र जैसी है. उन्हें इस पर मैं क्या कहूं. सरकार के नियम-कानून के बारे में वह भलीभांति परिचित हैं. ओडिशा के जितने भी मुख्यमंत्री थे, उनमें विश्वनाथ दास से लेकर जानकी पटनायक तक सभी के अंतिम संस्कार में वह स्वयं उपस्थित रहे हैं. शाम होने के बाद भी राष्ट्रीय सम्मान दिया जा सकता है. यदि श्मशान में नहीं दिया जा सकता तो कहीं और दिया जा सकता है. शरत कर की आत्मा के साथ अन्याय किया गया है. इस मामले में मुख्यमंत्री अपनी गलती स्वीकारें तथा इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं बतायें. उल्लेखनीय है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद शरत कर के निधन के बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाने को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था.
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