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आभासी पटल पर तीसरा विकल्प’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान ‘आयोजित
भुवनेश्वर. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ और श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्म शताब्दी समारोह समिति द्वारा व्याख्यानमाला की श्रंखला में आभासी पटल पर एक विशेष व्याख्यान ‘तीसरा विकल्प’ विषय पर आयोजित किया गया. इसमें मुख्य वक्ता ऑर्गेनाइजर वीकली के संपादक प्रफुल केतकर ने दत्तोपंत ठेंगड़ी की पुस्तक ‘तीसरा पर्याय’ पर प्रकाश डाला और बताया कि पं दीनदयाल उपाध्याय द्वारा एकात्मक मानव दर्शन मॉडल के व्यवहारिक पक्ष को भारतीय जीवन में लाने का काम किया है. अन्य दो मॉडलों का विश्लेषण करने के बाद तीसरा पर्याय भारतीय संदर्भ में विश्लेषण करते हुए समाज जीवन में उसकी महत्ता का वर्णन किया. आत्मनिर्भरता के संदर्भ में बताया कि पूरा विश्व इस कालखंड में भारत की तरफ बड़ी आशा से देख रहा है, क्योंकि भारत की सभ्यता व संस्कृति और मानवीय मूल्य बड़े ही सशक्त हैं, जिनकी जड़ें भारतीय संस्कृति में समाहित हैं. पश्चिम की सोच का भारतीय संदर्भ में आंकलन करते हुए उसे देशानुकूल युगानुकूल बनाने की बात कही. उन्होंने पूंजीवाद और साम्यवाद के प्रारंभ से लेकर के उसकी स्वतंत्रता व भारतीय संदर्भ में उसके लागू होने की बात कही. ठेंगड़ीजी द्वारा मजदूरों के शोषण के खिलाफ प्रारंभ हुए विभिन्न आंदोलनों की तरफ भी ध्यान आकृष्ट किया. जब समाज में आर्थिक विषमता की खाई बढ़ गई. व्यक्ति का मुनाफा कमाने का उद्देश्य हो गया तो जो मजदूर वर्ग का जन्म हुआ, जो भारतीय संदर्भ में बिल्कुल भी प्रासंगिक नहीं है. उन्होंने संपूर्ण जीवन के विचारों को हिस्से में बांटने का विरोध किया और कहा कि भारत की जीवन पद्धति और चिंतन का विचार समग्र है और यह समग्रता का मॉडल भारत में लागू भी होता है. यही भारतीय जीवन दृष्टि तीसरा पर्याय है, जिसमें भारतीय दर्शन व मौलिक चिंतन समाहित है. भारतीय चिंतन में जनक ही एकत्व की संकल्पना, एक ही संस्कृति, एक ही राष्ट्र,एक ही व्यवस्था(धर्म राज्य) व सबको बांधने वाली विविधता पूर्ण भारतीय जीवन पद्धति है, जो चिरकालिक, निरंतर व टिकाऊ भी है. भारत में हर मनुष्य को अपने ईश्वर के पास पहुंचने का अधिकार है. यह व्यवस्था केवल भारतीय सोच में ही है, इसीलिए यह विविधता को परिलक्षित करती है. व्यक्ति शारीरिक मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिकता के आचरण के आधार पर प्रकृति पर विजय पाना चाहता है, वहीं भारतीय प्राणी प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए प्रकृति का दोहन करता है. केतकर ने ठेंगड़ीजी के तीसरे पर्याय के आधार पर बताया कि विश्व को शांति, स्थिरता व संतुलित व्यवस्था यह तीसरा पर्याय ही देगा, जिसमें भारत का हिंदू जीवन दर्शन समाहित है, क्योंकि हमने मानव धर्म को माना है और पूरे ब्रह्मांड की संकल्पना की है, इसीलिए हम वसुधैव कुटुंबकम को मानते हैं. पूरा विश्व में आज भारत से अपेक्षा कर रहा है कि आर्थिक मॉडल भी विश्व के लिए भारत स्वदेशी के आधार पर देगा. तीसरे पर्याय का अमलीकरण आत्मनिर्भर भारत, वोकल फोर लोकल जैसे अनेक कार्यक्रमों से प्रारंभ हो गया है, जो निश्चय ही भारत को परम वैभव पर ले जाएगा. इस अवसर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के माननीय अध्यक्ष प्रो. जगदीश प्रसाद सिंघल, महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा, संगठन मंत्री महेंद्र कपूर सहित महासंघ के पदाधिकारियों एवं देश के कोने कोने से शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गणमान्य व्यक्तियों एवं मीडियाकर्मियों ने भाग लिया.