Home / Odisha / लघु कविताएँ – शून्य 

लघु कविताएँ – शून्य 

( 1 )
पिघलने लगी रात,
आहिस्ता-आहिस्ता !

झरने लगे कलम से,
स्याही के कतरे !

खो गयी शब्दों की भीड़,
ढालती रात के साथ !

अवशेष रहा शून्य— महाशून्य !!

( 2 )
आँकड़ों का गहरा जाल है,
जोड़-घटाव-गुणा-भाग !

उलझा रहता है जीवन,
इनके ताने-बनाने में !

देखती हूँ दूर तक,
शून्य ही तो है,
शाश्वत सत्य !!

( 3 )
कहो ! कहाँ नहीं शून्य है,
जल-थल-अम्बर में !

पग-पग मायाजाल है,
सत्य छिपा निज अन्तर में !

यही तो है पर्यायवाची शून्य का !!

( 4 )
मैंने उससे कहा,
जब भी जाओ,
थोड़ा-सा शून्य मुझे दे जाना,
और उतना ही वापस ले जाना !

वरना जीवन भर सताएँगे,
हम को ये निष्ठुर आँकड़े !!

( 5 )
शून्य नहीं होता है,
अभिशप्त कभी !

देख लेना बुलाकर,
प्रेम से तुम !

निभाता है साथ,
जीवन भर !!

✍️ पुष्पा सिंघी , कटक

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री ने पंडित मालवीय को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

भुवनेश्वर। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने महामना …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *