Fri. Apr 18th, 2025
  • महाप्रसाद भोग के समय सुआर सेवायत के प्रवेश करने से नीतियों में आयी विध्नता

  • श्रीमंदिर में अशुद्ध महाप्रसाद मिट्टी में ढका गया

  • श्रीजीउ रातभर जगते रहे, नीति हुई प्रभावित

  • सुआर सेवक को सेवा से निकाला गया

महाप्रभु की फाइल फोटो।

प्रमोद कुमार प्रृष्टि, पुरी

भगवान श्री जगन्नाथ के विश्व प्रसिद्ध श्रीमंदिर में शनिवार देर रात विलक्षण घटना घटी. इस कारण भगवान को उपवास रहना पड़ा. दुबारा महास्नान की नीति के उपरांत पीठा भोग चढ़ाया गया. घटना से पता चला है संध्या धूप भोग के लिए रविवार रात 10:00 बजे महाप्रसाद रत्न सिहासन पर विराजमान भगवान के समक्ष रखा गया. इसके बाद में भगवान के सामने गमछा बांधा गया, जिसको श्रीमंदिर भाषा में टेरा नीति कहा जाता है. टेरा बंधने के बाद किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है. सिर्फ जो सेवक अंदर में पूजा कार्य में हैं, वही सेवक अंदर में रहते हैं, लेकिन कुछ महाप्रसाद रसोई घर में बनकर रह गयी थी. उसको सुआर सेवक नाली सुआर उर्फ नारायण महापात्र अपना महाप्रसाद लेकर मंदिर में प्रवेश कर गये, जबकि उस समय पर सबके लिए पाबंदी रहती है. अंदर में रहे पत्री बडू सेवक दामोदर रूद्र महापात्र बाहर निकल गए. बोले कि आगे नीति नहीं होगी. सभी महाप्रसाद मारा (अशुद्ध) हो गया. फिर प्रशासन के कर्मचारी, श्री मंदिर के भीतरुछ भवानी महापात्र पहुंचे और चर्चा की. इसके बाद कोठा सूआशिया सेवक पहुंचे तथा मध्य रात 1:50 बजे महाप्रसाद को निकाल के नीलांचल उपवन में मिट्टी के नीचे ढाक दिया. इसके बाद श्रीमंदिर में भगवान जी की महास्नान नीति आयोजित की गयी. फिर पार्श्व परिवर्तन नीति संपन्न की गयी. प्रातः काल में महाद्वीप आयोजित की गयी. इससे श्री जिओ की रात्रि पहुड़ नीति आयोजित नहीं हो पायी.  भगवान जी ने विश्राम नहीं किया. इसी घटना के बाद नारायण महापात्र पर कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है. श्रीमंदिर प्रशासन के प्रशासक के पास श्री मंदिर गारद की तरफ से लिखित शिकायत भेज दी गयी है. वैसे ही सुआर महासुआर नियोग की तरफ से नारायण महापात्र को सेवा से निकाल दिया गया है. अब कोई भी सेवा कार्य श्रीमंदिर में नारायण नहीं कर पाएंगे.

Share this news

By desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *