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देब्रीगढ़ अभयारण्य की सुरक्षा में उतरी ऑल-वुमन स्क्वॉड
भुवनेश्वर। ओडिशा ने वन और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा के लिए पूरी तरह महिला सुरक्षा दस्ते की तैनाती की है। पांच सदस्यीय इस ऑल-वुमन स्क्वॉड को अभयारण्य में वन और वन्य प्राणियों की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज्य में यह पहला अवसर है, जब किसी वन्यजीव अभयारण्य में महिला प्रवर्तन दल को औपचारिक रूप से शामिल किया गया है।
जनजातीय परिवारों से जुड़ी हैं अधिकांश महिलाएं
हीराकूद वन मंडल की डीएफओ अंशु प्रज्ञा दास ने बताया कि नवगठित महिला दस्ते की चार सदस्याएं अभयारण्य की तलहटी में बसे गांवों के जनजातीय परिवारों से आती हैं। ये महिलाएं जंगल और उसके आसपास के हालात से भली-भांति परिचित हैं और वर्षों से वहां मानवीय गतिविधियों को नजदीक से देखती रही हैं।
वन्यजीवों पर बढ़ते खतरों को करीब से देखा
डीएफओ के अनुसार, इन महिलाओं ने जंगलों में लगातार बढ़ते मानवीय दबाव, फसलों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों द्वारा लगाए गए बिजली के तारों से वन्यजीवों की मौत, तथा ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा के जरिए वन्यजीवों और उनके अंगों की अवैध तस्करी जैसी घटनाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। यही अनुभव उन्हें अभयारण्य की सुरक्षा के लिए और अधिक सक्षम बनाता है।
साहस, समर्पण और सेवा भावना के आधार पर चयन
महिला दस्ते का चयन उनके निडर स्वभाव, वन एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और प्रकृति की सेवा के जरिए एक सार्थक जीवन जीने के संकल्प को देखते हुए किया गया है। अक्टूबर से इन महिलाओं को तीन महीने का कठोर शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया है। दस्ते की दो सदस्याएं विशेष तैराक हैं और उन्हें क्रूज डाइविंग का भी प्रशिक्षण मिला है। यह महिला स्क्वॉड 1 जनवरी से अभयारण्य में सक्रिय रूप से कार्य करना शुरू करेगी।
आत्मनिर्भरता के साथ बढ़ा सम्मान
दस्ते की सदस्य अंजलि टोपनो ने कहा कि देब्रीगढ़ प्रवर्तन इकाई का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि इस जिम्मेदारी के साथ वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी हैं और अपने परिवार की मदद भी कर सकेंगी। अंजलि ने कहा कि गांव और समाज में अब लोग उन्हें गर्व की नजर से देखेंगे, क्योंकि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए देब्रीगढ़ अभयारण्य और जंगलों को सुरक्षित रखने में योगदान दे रही हैं।
गांवों को जोड़ने में भी होगी अहम भूमिका
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) पीके झा ने कहा कि ऑल-वुमन प्रवर्तन दस्ता गठित करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि अभयारण्य के भीतर और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में महिला फ्रंटलाइन कर्मचारी कार्यरत हैं। यह पहल ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को, शिकारियों के खिलाफ खड़ा होने और अभयारण्य की रक्षा के लिए प्रेरित करेगी। इस नई पहल को ओडिशा में वन्यजीव संरक्षण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कदम माना जा रहा है।
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