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गीत गोविंदम् में राधा-कृष्ण की भावनाओं का सजीव चित्रण
भुवनेश्वर। गुरु केलुचरण महापात्र ओडिशी रिसर्च सेंटर एवं ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओडिशी नृत्य महोत्सव का दूसरा संध्या कार्यक्रम रवींद्र मंडप में पारंपरिक गरिमा और भावनात्मक गहराई के साथ संपन्न हुआ। 26 दिसंबर से शुरू हुआ यह पांच दिवसीय महोत्सव 30 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें देश-विदेश से आए कलाकार ओडिशी नृत्य की समृद्ध परंपरा को मंच पर साकार कर रहे हैं।
दूसरे संध्या की सबसे बड़ी विशेषता प्रख्यात ओडिशी नृत्यांगना नंदिनी घोषाल की प्रस्तुति रही। उन्होंने जयदेव के अमर काव्य गीत गोविंदम् के अंशों को अपने सशक्त अभिव्यक्ति कौशल, लयबद्ध अंग संचालन और सूक्ष्म हस्त मुद्राओं के माध्यम से जीवंत कर दिया। श्री राधा के विरह, प्रेम और मान के भावों को उन्होंने इतनी संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया कि पूरा सभागार भावविभोर हो उठा। कृष्ण, राधा और चंद्रावली के चरित्रों का उनका सूक्ष्म और संतुलित अभिनय दर्शकों को विशेष रूप से प्रभावित करता नजर आया।
मंगलाचरण से आरंभ, शास्त्रीय प्रस्तुतियों की सशक्त श्रृंखला
संध्या कार्यक्रम की शुरुआत अद्रिता डांस ग्रुप के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण “गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः” से हुई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक भाव से भर दिया। इसके बाद सुदिक्षा पांडा की एकल अभिव्यक्ति “सृता कमल कुच मंडल”, साई स्मृति की “कीराबाणी पल्लवी” और रश्मिता महाराणा तथा साबित्री महापात्रा की युगल “शंकराभरण पल्लवी” ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
विविध विषयों पर आधारित नृत्य रचनाओं ने बढ़ाई गरिमा
कार्यक्रम के दौरान गायत्री सेठी की “नवदुर्गा” प्रस्तुति ने शक्ति आराधना के भाव को मंच पर उतारा, वहीं प्रीतिमयी बसु और वर्षा दास द्वारा प्रस्तुत “जय जय जगन्नाथ नीलगिरिपति” ने भक्ति रस को और प्रगाढ़ किया। दीपिका प्रियदर्शिनी की “दुर्गा तांडव” और नृत्यायन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत “दशावतार” ने ओडिशी नृत्य की शास्त्रीय परंपरा और कथात्मक विस्तार को प्रभावी ढंग से दर्शाया।
दोपहर सत्र में भी ओडिशी की सजीव झलक
महोत्सव के दोपहर सत्र में नेहरू कॉलोनी ओडिशी आश्रम के कलाकारों ने “शिव स्तुति” और “मधुर बसंत” की प्रस्तुति दी। इसके बाद अभिप्सा पाटी की भावनात्मक रचना “देखिबा परा आसरे प्राण संगिनी”, बसिष्ठ जेना और आयुष गुणप्रभा की “बिलाहरी पल्लवी”, मानसी मधुस्मिता पाधी की “मोहना पल्लवी” तथा लक्ष्मीप्रिया साहू और सत्य सूर्यांशु की युगल प्रस्तुति “अर्धनारीश्वर” ने दर्शकों को लंबे समय तक बांधे रखा।
अष्टपदी और समूह नृत्य के साथ हुआ संध्या का समापन
संध्या सत्र में वरिष्ठ नर्तक प्रभात कुमार स्वाईं ने गीता गोविंदम की अष्टपदी “कुरु यदु नंदन” को अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद योगिता बेसिन, भारदा भैशम्पायन, जगतजीत दास, बृंदा चड्ढा, सृजनी नायक, श्रुतिश्री स्वाईं, अरुणिमा आचार्य और बानी रे की प्रस्तुतियों ने मंच को जीवंत बनाए रखा। कार्यक्रम का समापन आराधना डांस फाउंडेशन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत समूह ओडिशी नृत्य के साथ हुआ।
गणमान्य अतिथियों की रही उपस्थिति
दूसरे संध्या कार्यक्रम में ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग के सचिव डॉ. विजय केतन उपाध्याय, डॉ. बालाजी सीनॉय, प्रख्यात ओडिशी गुरु रतिकांत महापात्र, वरिष्ठ नृत्यांगना दीप्ति मिश्रा तथा गुरु केलुचरण महापात्र ओडिशी रिसर्च सेंटर की प्रशासनिक अधिकारी सुचिस्मिता मंत्री सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष महोत्सव में लगभग 350 नर्तक भाग ले रहे हैं, जिनमें करीब 15 अंतरराष्ट्रीय कलाकार भी शामिल हैं। ओडिशा सहित देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया से आए कलाकार इस आयोजन को वैश्विक पहचान दे रहे हैं।
कला प्रदर्शनी और युवाओं का आकर्षण
महोत्सव परिसर में ओडिशी नृत्य पर आधारित कला प्रदर्शनी, “आम ओडिशी” सेल्फी स्टैंड और ओडिशी विषयक रेत कला की विशेष व्यवस्था की गई है, जो खासकर युवाओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
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