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ओडिशा में नई एसओपी जारी
भुवनेश्वर। भूमि अभिलेखों से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे विवादों और मुकदमेबाजी को कम करने के उद्देश्य से ओडिशा सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार लागू किया है। ओडिशा राजस्व विभाग ने पुराने पंजीकृत बिक्री दस्तावेजों के आधार पर भूमि के म्यूटेशन को मंजूरी देने का अधिकार अब तहसीलदारों को प्रदान कर दिया है।
राजस्व विभाग ने गुरुवार को ओडिशा सर्वे एवं सेटलमेंट (संशोधन) नियम, 2025 के अनुरूप एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की। नई व्यवस्था के तहत अब भूमि मालिकों को रिकॉर्ड सुधार और म्यूटेशन के लिए पुनरीक्षण न्यायालयों या राजस्व बोर्ड का रुख नहीं करना पड़ेगा, बल्कि वे सीधे संबंधित तहसील कार्यालय में आवेदन कर सकेंगे।
संशोधित ढांचे के अनुसार, सेटल्ड भूमि के मालिक अपने पुराने पंजीकृत बिक्री दस्तावेजों के आधार पर सीधे तहसील स्तर पर म्यूटेशन और रिकॉर्ड सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं। पहले ऐसे मामलों में बार-बार अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, जिससे प्रक्रिया में काफी देरी होती थी।
नई एसओपी के लागू होने के बाद तहसीलदारों को म्यूटेशन से जुड़े मामलों की सुनवाई, दस्तावेजी साक्ष्यों की जांच और स्वतंत्र रूप से आदेश पारित करने का औपचारिक अधिकार दे दिया गया है।
एसओपी के अनुसार, विभिन्न पुनरीक्षण न्यायालयों में लंबित लगभग 1.15 लाख म्यूटेशन मामलों को संबंधित तहसील कार्यालयों को स्थानांतरित किया जाएगा। इन मामलों की पहचान कर उनका डिजिटलीकरण किया जाएगा और इसके बाद कोर्ट केस मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से उन्हें संबंधित तहसीलदारों के पास निपटारे के लिए भेजा जाएगा।
यह सुधार राज्य में भूमि रिकॉर्ड सुधार प्रक्रिया को सरल बनाने, मुकदमेबाजी कम करने और भूमि मालिकों को शीघ्र राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
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