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‘लिविंग विल’ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा लागू
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राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दिया स्पष्ट आश्वासन
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एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव के क्रियान्वयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में
कटक। एक ऐतिहासिक कदम के तहत बीमारग्रस्त लोगों को ओडिशा में सम्मान के साथ मरने के अधिकार मिलने जा रहा है। ओडिशा सरकार ने ‘लिविंग विल’ यानी एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने का स्पष्ट निर्णय ले लिया है। राज्य सरकार ने यह आश्वासन ओडिशा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान दिया। यह पीआईएल सुप्रीम कोर्ट के 24 जनवरी 2023 के आदेश के क्रियान्वयन में कथित देरी को लेकर दाखिल की गई थी।
ड्राफ्ट रेजोल्यूशन की हो रही है समीक्षा
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता देवाशीष त्रिपाठी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव से प्राप्त निर्देशों के आधार पर एक लिखित सूचना अदालत के समक्ष प्रस्तुत की। इसमें कहा गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने का निर्णय ले लिया है और इसके लिए तैयार किए गए मसौदा प्रस्ताव (ड्राफ्ट रेजोल्यूशन) की समीक्षा अंतिम रूप से की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिली मान्यता
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘सम्मान के साथ मरने के अधिकार’ को मान्यता दी थी। इस फैसले के माध्यम से देशभर में ‘लिविंग विल’ के एकरूप क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की प्रतियां राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को भेजने और वहां से आगे संबंधित जिलों के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारियों तक इसे पहुंचाने के निर्देश भी दिए थे।
लिविंग विल के क्रियान्वयन की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ी
राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत लिखित संदेश में कहा गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने का स्पष्ट फैसला लिया है। इसके लिए गठित समिति द्वारा मसौदा प्रस्ताव की एक बार फिर समीक्षा की जा रही है, ताकि इसे शीघ्र अंतिम रूप दिया जा सके। सरकार ने यह भी बताया कि लिविंग विल के क्रियान्वयन की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है।
ड्राफ्ट पर ली जा रही विभिन्न विभागों से सुझाव और राय
सरकारी पक्ष ने अदालत को अवगत कराया कि ड्राफ्ट रेजोल्यूशन को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न विभागों से सुझाव और राय ली जा रही है। इनमें विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के इनपुट भी शामिल हैं। सभी आवश्यक विभागीय मत प्राप्त होने के बाद इस मसौदे को सरकार की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
इस विषय पर लगातार काम कर रही है एक समिति
सरकार ने अदालत को यह भी जानकारी दी कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव डॉ विजय कुमार महापात्र की अध्यक्षता में गठित एक समिति इस विषय पर लगातार काम कर रही है। इस समिति में कुल नौ अन्य सदस्य शामिल हैं। समिति की बैठकें 25 अप्रैल 2024 और 20 मई 2025 को आयोजित की गई थीं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन की रूपरेखा और प्रक्रिया पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
8 अक्टूबर को हुई थी बैठक
समिति की राय के अनुसार, एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव का क्रियान्वयन मुख्य रूप से मेडिकल कॉलेजों, सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और जिला मुख्यालय स्थित उन अस्पतालों में किया जाएगा, जहां गंभीर रूप से बीमार और अंतिम अवस्था के मरीजों के इलाज के लिए आईसीयू की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए तैयार किए गए मसौदा प्रस्ताव को 8 अक्टूबर को हुई बैठक में समिति के सभी सदस्यों के बीच पुनः समीक्षा और अंतिम सहमति के लिए प्रसारित किया गया।
मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को
राज्य सरकार के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायमूर्ति एमएस रमन की खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख तय की।
यह जनहित याचिका 20 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट के अधिवक्ता कन्हैयालाल शर्मा द्वारा दाखिल की गई थी। याचिका में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप ‘लिविंग विल’ को लागू करने का आदेश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पार्थ मुखर्जी ने अदालत में पक्ष रखा।
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