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कहा-आयुर्वेद व होम्योपैथी छात्रों की तरह सुविधाएं मिलें
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चिकित्सा क्षेत्र का अहम हिस्सा हैं दोनों पाठ्यक्रम
भुवनेश्वर। बैचलर ऑफ फिजियोथैरेपी और ऑफ्थैल्मोलॉजी शिक्षा से जुड़े छात्रों ने स्टाइपेंड की मांग को लेकर आवाज बुलंद की है। छात्रों का कहना है कि जब आयुर्वेद और होम्योपैथी के विद्यार्थियों को सरकार की ओर से स्टाइपेंड और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं, तो फिजियोथैरेपी और ऑफ्थैल्मोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों के छात्रों को इससे वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाओं में निभा रहे हैं महत्वपूर्ण भूमिका
छात्रों ने कहा कि फिजियोथैरेपी और ऑफ्थैल्मोलॉजी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। दुर्घटनाओं, ऑपरेशन के बाद पुनर्वास, बुजुर्गों की देखभाल, खेल चोटों के इलाज और आंखों से जुड़ी बीमारियों के उपचार में इन विशेषज्ञों की भूमिका लगातार बढ़ रही है।
लंबी पढ़ाई, व्यावहारिक प्रशिक्षण और आर्थिक दबाव
छात्रों का तर्क है कि इन पाठ्यक्रमों में लंबी अवधि की पढ़ाई के साथ-साथ अस्पतालों में अनिवार्य व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शामिल होता है। इंटर्नशिप और क्लिनिकल ड्यूटी के दौरान उन्हें पूरा समय अस्पतालों में देना पड़ता है, जिससे अन्य आय के साधन संभव नहीं हो पाते। ऐसे में स्टाइपेंड न मिलना छात्रों पर आर्थिक दबाव बढ़ाता है।
समानता के आधार पर सुविधाओं की मांग
छात्र संगठनों ने सरकार से मांग की है कि आयुर्वेद और होम्योपैथी छात्रों की तरह निजी और सरकार शैक्षणिक संस्थानों के फिजियोथैरेपी और ऑफ्थैल्मोलॉजी के विद्यार्थियों को भी स्टाइपेंड और बुनियादी सुविधाएं दी जाएं। उनका कहना है कि समान जिम्मेदारियों और सेवाओं के बावजूद भेदभाव से मनोबल गिरता है।
सरकार से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद
छात्रों ने उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी वर्गों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करेगी। उनका कहना है कि इससे न केवल छात्रों को राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
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