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भुवनेश्वर में ‘पूर्वोदय दृष्टिकोण’ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने दिया वीडियो संदेश
भुवनेश्वर। ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘पूर्वोदय’ विकास का प्रमुख इंजन है। इस आह्वान में निहित संभावनाओं को वास्तविक रूप देने और उपलब्ध अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए सभी को मिलकर आगे आना चाहिए। ये बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज भुवनेश्वर में आयोजित ‘पूर्वोदय दृष्टिकोण–2025’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए कहीं।
विदेश व्यापार मंत्रालय, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और द एनर्जी फोरम (टीईएफ) के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पूर्वोदय’ परिकल्पना को आगे बढ़ाने की दिशा में ऐसे आयोजन स्वागत योग्य हैं। उन्होंने बताया कि 6 फरवरी 2016 को इंडियन ऑयल पारादीप रिफाइनरी को देश को समर्पित करते समय प्रधानमंत्री ने पहली बार ‘पूर्वोदय’ की आधारशिला रखी थी।
केंद्रीय बजट 2024 में भी ‘पूर्वोदय’ योजना को शामिल करते हुए ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आंध्र प्रदेश को सम्मिलित कर गठित पूर्वी भारत के समग्र विकास पर विशेष जोर दिया गया था। इस पहल का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र को विकसित भारत के विकास इंजन के रूप में परिवर्तित करना है।
ओडिशा आज “पूर्वोदय का प्रवेश द्वार” बनकर उभरा
उन्होंने ‘पूर्वोदय’ के प्रवेश द्वार और ऊर्जा सुरक्षा क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि पारादीप, धामरा और गोपालपुर जैसे प्रमुख बंदरगाहों तथा खनिज-आधारित उद्योगों के साथ ओडिशा आज “पूर्वोदय का प्रवेश द्वार” बनकर उभरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बंदरगाह-आधारित विकास और ब्लू इकोनॉमी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल हैं।
आर्थिक कॉरिडोर केवल सड़क और बंदरगाह तक सीमित नहीं
उन्होंने कहा कि आर्थिक कॉरिडोर केवल सड़क और बंदरगाह तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ऊर्जा, डेटा, वित्त और विचारों के प्रवाह का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान में पूर्वी भारत तेजी से एक रणनीतिक ऊर्जा कॉरिडोर के रूप में उभर रहा है।
भारत में 9,300 किलोमीटर से अधिक पेट्रोलियम और उत्पाद पाइपलाइनें परिचालन में
आज भारत में 9,300 किलोमीटर से अधिक पेट्रोलियम और उत्पाद पाइपलाइनें परिचालन में हैं। ये पाइपलाइनें पारादीप, धामरा, हल्दिया और विशाखापट्टनम जैसे बंदरगाहों के साथ मिलकर कच्चे तेल, एलएनजी और पेट्रोकेमिकल व्यापार के लिए एक मजबूत प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर रही हैं। यह एकीकृत नेटवर्क न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ कर रहा है, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत को भी कम कर रहा है।
यह क्षेत्र वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो भारत के पूर्वी तट और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऊर्जा साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर रहा है।
एक और प्रमुख फोकस क्षेत्र है सस्टेनेबिलिटी
प्रधान ने आगे कहा कि स्थायित्व (सस्टेनेबिलिटी) एक और प्रमुख फोकस क्षेत्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने स्थायित्व और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं का समाधान करने के लिए व्यापक नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय की हरियाली के लिए स्वच्छ ऊर्जा केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एकमात्र मार्ग है। ‘पूर्वोदय’ केवल विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हरित विकास का भी प्रतीक है। सरकार भविष्य के परिवर्तन के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन, जैव ईंधन, लो-कार्बन रिफाइनिंग और स्वच्छ पेट्रोकेमिकल्स के माध्यम से ‘पूर्वोदय’ को सतत विकास के साथ जोड़ा जा रहा है।
युवा शक्ति पर जोर दिया
युवा शक्ति पर जोर देते हुए श्री प्रधान ने कहा कि भारत की विश्वस्तरीय प्रतिभा के रूप में देश का युवा वर्ग भारत के भविष्य को गढ़ने की क्षमता रखता है। ‘पूर्वोदय’ के राज्यों को समृद्ध मानव संसाधन के लिए जाना जाता है। इस क्षमता का उपयोग करने के लिए शिक्षा और कौशल विकास दो प्रमुख स्तंभ हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर और एनआईजेआर जैसे संस्थानों सहित कई राष्ट्रीय महत्व के संस्थान मौजूद हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाले मानव संसाधन का सृजन कर देश निर्माण में योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में ओडिशा सरकार और सिंगापुर स्थित ग्लोबल फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी नेटवर्क के बीच हुआ सहयोग देश के युवाओं के लिए नए अवसर लेकर आया है।
विकास में निजी क्षेत्र को सक्रिय रूप से जोड़ने की सलाह
प्रधान ने कहा कि यह सम्मेलन भविष्य के लिए आगे की राह पर गंभीर मंथन करने का अवसर है कि युवाओं को भविष्य के लिए कैसे तैयार किया जाए, इस संसाधन-समृद्ध क्षेत्र की संभावनाओं का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए, और क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र को किस प्रकार अधिक सक्रिय रूप से जोड़ा जाए।
अंत में प्रधान ने इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए विदेश व्यापार मंत्रालय, द एनर्जी फोरम (टीईएफ) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की सराहना की।
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