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सुरंग सुरक्षा के लिए भारत को चाहिए यूरोप जैसा सख्त ढांचा

  •     विशेषज्ञों ने टनल सेफ्टी ऑफिसर, स्वचालित मॉनिटरिंग और भविष्यवाणी आधारित प्रणाली को अनिवार्य बताया

भुवनेश्वर। इंडियन रोड्स कांग्रेस (आईआरसी) के वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन आयोजित 10वें तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने बताया कि यूरोप में गॉथर्ड दुर्घटना के बाद अपनाए गए सुरक्षा सुधार, जैसे कड़े मानक, स्वचालित मॉनिटरिंग प्रणाली और टनल सेफ्टी ऑफिसर (टीएसओ) की नियुक्ति, ने भूमिगत ढांचों की सुरक्षा को नई दिशा दी है। उनका कहना था कि टीएसओ जोखिम मूल्यांकन, सुरक्षा ऑडिट और वास्तविक समय संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

10वें तकनीकी सत्र में “हाईवे में रोड टनल्स और अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर्स” विषय पर विशेषज्ञों ने सुरंग निर्माण की नवीन तकनीकों, सुरक्षा ढांचे और टिकाऊ निर्माण सामग्री पर विस्तार से चर्चा की।

सत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के विस्तृत हो रहे हाईवे नेटवर्क के लिए एकीकृत डिजाइन, उन्नत सामग्री और भविष्यवाणी आधारित सुरक्षा प्रणाली आवश्यक है, ताकि सुरक्षित और सतत सुरंग अवसंरचना विकसित की जा सके।

सत्र की अध्यक्षता आरपी इंदोरिया, पूर्व डीजी (आरडी) एवं एसएस, सड़क परिवहन मंत्रालय एवं सलाहकार, आईआरसी ने की, जबकि सह-अध्यक्ष के रूप में राहुल गुप्ता, एडीजी, सड़क परिवहन मंत्रालय एवं महासचिव, आईआरसी उपस्थित रहे।

इस सत्र में जीएसआई, बीआरओ, जेएसएल और एसए इंफ्रा जैसी प्रमुख संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल हुए।

डॉ हरीश बहुगुणा ने सुरंग डिजाइन के भू-वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला, वहीं स्वेताभ सिंह ने एनएटीएम उत्खनन में डीप लर्निंग के उपयोग पर चर्चा की।

संदीप सिंह (जेएसएल) ने सुरंगों की सुरक्षा के लिए स्टेनलेस स्टील के उपयोग के महत्व को रेखांकित किया, जबकि लाल मणि सिंह (बीआरओ) ने डिजाइन से लेकर संचालन तक की सुरक्षा रणनीतियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।

प्रो अर्नोल्ड डिक्स (आईटीए-एआईटीईएस) ने दुनिया भर में हुई बड़ी सुरंग दुर्घटनाओं से मिले सबक साझा किए। विशेषज्ञों ने इन घटनाओं का विश्लेषण करते हुए बताया कि वेंटिलेशन की कमी, आपातकालीन प्रतिक्रिया में देरी, सीमित निकासी मार्ग और एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी जैसी खामियों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है।

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