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बोले- सतत सामग्री और शोध से ही सुरक्षित सड़क नेटवर्क संभव
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सुधार के लिए तकनीकी और मानवीय दोनों पहलुओं पर ध्यान जरूरी
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अनुसंधान, सतत तकनीक और जागरूकता से ही घटेंगी सड़क दुर्घटनाएं
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आईआरसी में सड़क दुर्घटनाओं में कमी और सतत प्रौद्योगिकियों पर जोर
भुवनेश्वर। इंडियन रोड्स कांग्रेस के तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने इस बात पर सहमति जताई कि सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सतत सामग्री, नवाचारी निर्माण तकनीक और निवारक रखरखाव उपायों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय व्यवहार और वाहन इंजीनियरिंग जैसे कारण सड़क दुर्घटनाओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, इसलिए अनुसंधान-आधारित, पर्यावरण-संवेदनशील और सुरक्षा-केंद्रित नीतियां अपनाकर एक सुदृढ़ राष्ट्रीय सड़क नेटवर्क का निर्माण किया जा सकता है।
इंडियन रोड्स कांग्रेस (आईआरसी) के वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन आयोजित 9वें तकनीकी सत्र में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और सतत, कम लागत वाली निर्माण तकनीकों को बढ़ावा देने पर गहन चर्चा हुई।
सत्र की अध्यक्षता आलोक पांडे, निदेशक, इंडियन एकेडमी ऑफ हाईवे इंजीनियर्स ने की, जबकि सह-अध्यक्ष के रूप में मनोरंजन मिश्र उपस्थित रहे। सत्र में सड़क निर्माण और रखरखाव के भविष्य को आकार देने वाली नवोन्मेषी और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को प्रदर्शित किया गया।
इस संवादात्मक सत्र में प्रमुख संगठनों के विशेषज्ञों ने सड़क इंजीनियरिंग से जुड़े व्यावहारिक अनुभव साझा किए। रहनोई डोक्कू (क्यूब हाईवेज) ने फाइबर रिइनफोर्स्ड माइक्रो-सर्फेसिंग तकनीक को सड़क रखरखाव के लिए एक प्रभावी समाधान बताया।
इंजीनियर के हेमलता (रोड सेफ्टी एचआरएस) ने शून्य मृत्यु दर और दुर्घटना नियंत्रण रणनीतियों पर चर्चा की।
कर्नल सौमेंद्र बनर्जी (जियोक्वेस्ट) ने लो-कार्बन और कम लागत वाले पेवमेंट ड्रेनेज समाधान प्रस्तुत किए, जबकि एमएम स्वामी और डॉ विशाल थोम्बरे (बीएमसी) ने मुंबई कोस्टल रोड की सफलता की कहानी साझा की।
इंजीनियर आर सत्यजीत दलई ने पुरी में देवी नदी पर पुल निर्माण की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
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