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भविष्य की मजबूत सड़क नेटवर्क के लिए शोध-आधारित दृष्टिकोण अनिवार्य

  •     इंडियन रोड्स कांग्रेस के सातवें तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने साझा किए नवाचार और शोध आधारित अनुभव

  •     कहा-डिजाइन, निगरानी और सतत निर्माण में नवाचार से ही टिकाऊ विकास संभव

  •     इंडियन रोड्स कांग्रेस में तकनीकी व शोध पर मंथन जारी

  •     लो-कार्बन और पुनर्चक्रणित सामग्री आधारित सड़क निर्माण पर चर्चा

भुवनेश्वर। सड़क संरचना की निगरानी, डिजाइन और निर्माण में पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए शोध-आधारित और तकनीक-संचालित दृष्टिकोण अपनाना समय की मांग है। यह न केवल सड़कों की दीर्घायु सुनिश्चित करेगा, बल्कि पर्यावरण-संतुलित और आर्थिक रूप से टिकाऊ विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित जनता मैदान में इंडियन रोड्स कांग्रेस-2025 में इंटरएक्टिव सत्र के दौरान विशेषज्ञों और अभियंताओं ने इस बात पर जोर दिया।

इंडियन रोड्स कांग्रेस के सातवें तकनीकी सत्र का केंद्र बिंदु लो-कार्बन और पुनर्चक्रणित सामग्री आधारित सड़क निर्माण रहा। इस सत्र में इंडियन रोड्स कांग्रेस जर्नल में प्रकाशित चुनिंदा शोध पत्रों की प्रस्तुति की गई, जिनमें सड़क अभियांत्रिकी के क्षेत्र में नवाचार और वैज्ञानिक प्रगति को रेखांकित किया गया।

सत्र की अध्यक्षता सेवानिवृत्त एडीजी (बीआरओ) आरके धीमान ने की, जबकि सह-अध्यक्ष के रूप में वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर डॉ अभय बंबोले उपस्थित थे। यह सत्र शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और पेशेवरों के लिए ज्ञान-साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जिसमें सड़क सुरक्षा, टिकाऊपन और बुनियादी ढांचे के प्रदर्शन को बढ़ाने में व्यावहारिक शोध की भूमिका पर बल दिया गया।

सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किए गए, जिनमें मुंबई के अमरमहल फ्लाईओवर की स्ट्रक्चरल हेल्थ मॉनिटरिंग, सीआरआरआई के शोधकर्ताओं द्वारा फोम्ड बिटुमेन आधारित पेवमेंट पर तुलनात्मक अध्ययन, एनएचएआई और आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा सड़क निर्माण में कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में उपाय और आईआईटी बीएचयू द्वारा अस्फाल्ट पेवमेंट की थकान प्रदर्शन सुधारने हेतु फिलर चयन की नई पद्धति पर शोध पत्र शामिल थे।

इंटरएक्टिव सत्र के दौरान यह निष्कर्ष सामने आया कि सड़क संरचना की निगरानी, डिजाइन और सतत निर्माण में शोध-आधारित दृष्टिकोण अपनाना ही भविष्य की मजबूत और टिकाऊ सड़क नेटवर्क के निर्माण की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

इससे पहले कल भुवनेश्वर स्थित जनता मैदान में इंडियन रोड्स कांग्रेस (आईआरसी) के 84वें वार्षिक सत्र की शुरुआत हुई। देशभर से आए अभियंता, शिक्षाविद और विशेषज्ञ इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में शामिल हुए, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में उन्नत और सुरक्षित सड़कों के निर्माण पर चर्चा करना है।

इस अवसर पर सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हुई प्रगति और नवाचारों पर केंद्रित एक तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। सत्र की अध्यक्षता वर्क्स विभाग के मुख्य अभियंता (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) उत्तम पारसेकर ने की। उन्होंने सतत बुनियादी ढांचा विकसित करने में नवाचार और प्रामाणिक शोध के महत्त्व पर जोर दिया।

परफॉर्मेंस-बेस्ड डिजाइन पर जोर

देश के विभिन्न प्रमुख संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविदों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। आईआईटी तिरुपति की सहायक प्राध्यापक डॉ बिजली बालकृष्णन ने परफॉर्मेंस-बेस्ड डिजाइन पर शोध प्रस्तुत किया, जबकि आईआईटी खड़गपुर के प्रो एम अमरनाथ रेड्डी ने फुटपाथ डिजाइन डेवलपमेंट पर अपनी प्रस्तुति दी।

जियोपॉलिमर कंक्रीट की स्थायित्व विशेषताओं पर शोध साझा

बिट्स पिलानी, हैदराबाद कैंपस के डॉ अक्षय गुंडाला ने रोड डिजाइन में फ्रिक्शन मापन पर चर्चा की। वहीं, बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की डॉ जया आर शिंगनामक्खी और मंजुनाथ जीजीबीएस ने जीजीबीएस और फ्लाई ऐश के बाइनरी ब्लेंड से बने जियोपॉलिमर कंक्रीट की प्रयोगात्मक व यांत्रिक स्थायित्व विशेषताओं पर अपना शोध साझा किया।

योगदान के लिए वक्ता सम्मानित

सभी वक्ताओं को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सत्र का समापन एक इंटरएक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने विचारों का आदान-प्रदान किया और भविष्य के शोध की संभावनाओं पर चर्चा की।

सड़क इंजीनियरिंग में नवाचार और टिकाऊपन पर जोर

छठे तकनीकी सत्र में देशभर के विशेषज्ञों ने सड़क इंजीनियरिंग में नवाचार और टिकाऊपन को भविष्य की जरूरत बताया। सत्र में आईआईटी रुड़की, पीएमजीएसवाई जम्मू और अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों ने शोध-आधारित डिजाइन, टिकाऊ मिश्रण, और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों के उपयोग पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने कहा कि डेटा-आधारित विश्लेषण और सतत सामग्री के प्रयोग से ही मजबूत और स्मार्ट सड़क नेटवर्क बनाया जा सकता है।

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