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कहा – राष्ट्रीय एकता की नींव है यह भाषा
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विश्व हिंदी परिषद, ओडिशा प्रांत सम्मान समारोह आयोजित
भुवनेश्वर। राज्यपाल डॉ हरिबाबू कंभमपाटी ने रविवार को हिंदी को ज्ञान, विज्ञान और नवाचार की भाषा के रूप में उन्नत करने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। साथ ही इसकी समृद्ध भावनात्मक और सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित किया। उन्होंने कहा कि यह भाषा राष्ट्रीय एकता की नींव है और हिंदी को विज्ञान, नवाचार और राष्ट्र निर्माण का एक सशक्त माध्यम बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
राजभवन परिसर स्थित नए अभिषेक हॉल में विश्व हिंदी परिषद, ओडिशा प्रांत द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में हिंदी में बोलते हुए राज्यपाल ने सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के साधन के रूप में हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं के आंदोलन को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समारोह में शामिल होने पर गर्व व्यक्त करते हुए डॉ कंभमपाटी ने हिंदी भाषा के प्रचार और संवर्धन में विश्व हिंदी परिषद के एक दशक से चले आ रहे समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्रख्यात लेखकों और विद्वानों को सम्मानित करना था, बल्कि यह हिंदी के विकास और गरिमा को आगे बढ़ाने के सामूहिक संकल्प की पुष्टि भी करता है।
परिषद के अध्यक्ष तथा पद्मश्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित डॉ यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद के नेतृत्व की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह संगठन हिंदी को साहित्य, ज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा के रूप में स्थापित करने में सहायक रहा है।
हिंदी संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक भावनात्मक सेतु
हिंदी को भारत की विविध संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक भावनात्मक सेतु बताते हुए डॉ कंभमपाटी ने इसे राष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक बताया और वैश्विक मंच पर भारत की भावना का प्रतिनिधित्व किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए उन्होंने मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाओं में प्रारंभिक शिक्षा के लिए इसके समर्थन पर प्रकाश डाला, जिससे युवा हिंदी के माध्यम से विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकें।
इस अवसर पर कवियों, लेखकों, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित प्रतिष्ठित हस्तियों को सम्मानित किया गया। वक्ताओं में राज्यसभा सांसद ममता महंता, डॉ यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद और डॉ विपिन कुमार उपस्थित थे। स्वागत भाषण विश्व हिंदी परिषद, ओडिशा प्रांत के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदी परिषद, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष देवी प्रसाद मिश्र ने किया।
विकसित भारत का सफर पुस्तक का विमोचन
समारोह के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अनुवाद अधिकारी गोविंद चौधरी द्वारा रचित काव्य संग्रह “विकसित भारत का सफर” का विमोचन महामहिम राज्यपाल के कर–कमलों से संपन्न हुआ। प्रथम सत्र का मंच संचालन डॉ मंजुश्री वेदुला ने किया।
अतिथियों ने हिन्दी की महत्ता बताई
अपने स्वागत भाषण में विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिंदी केवल संवाद की भाषा नहीं, यह हमारी संवेदना, संस्कृति और सभ्यता की अभिव्यक्ति है। यह वह भाषा है जो भारत की विविध भाषाओं, बोलियों एवं परंपराओं को एक सुत्र में बांधती है। वही राष्ट्रीय महासचिव डॉ विपिन कुमार ने कहा की भारत में हिंदी का विकास क्षेत्रीय भाषाओं के साथ ही हो सकती है क्योंकि क्षेत्रीय भाषाएं जड़ है और उन्हीं के सहयोग से राजभाषा हिंदी का विकास संभव है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री, पद्मभूषण डॉ यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद ने कहा की हिंदी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जा रही है और व्यापार जगत की पहली पहचान बनती जा रही है वही उपाध्यक्ष श्री देवी प्रसाद मिश्रा जी ने कहा कि हमें अंग्रेजी से नही अंग्रेजियत से बचनी है।
कत्थक नृत्य और कवियों ने दिलों को छुआ
द्वितीय सत्र की शुरुआत ओड़िया-कत्थक सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति से हुई जिसे प्रस्तुति किया सोनाली राय एवं निकिता श्रीवास ने और इसके उपरांत प्रख्यात कवियों आशीष कुमार विद्यार्थी, कवयित्री रितु महिपाल, बंशीधर मिश्रा, मनीष कुमार पाण्डेय, ए कृष्णा राव, कृष्णा प्रजापति तथा विक्रमादित्य सिंह द्वारा प्रभावशाली काव्य–पाठ प्रस्तुत किया गया। कवियों ने अपनी ओजपूर्ण व विविध–विधा रचनाओं के माध्यम से देशभक्ति, समाज–संवेदना, हास्य कला, सांस्कृतिक मूल्यों तथा मानवीय भावों को बड़ी कला सम्पन्नता के साथ अभिव्यक्त किया, जिसे श्रोताओं ने अत्यंत सराहा। काव्य सम्मेलन का मंच संचालन कवि विक्रमादित्य सिंह ने किया।
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