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राज्य ने सस्टेनेबल ट्रेड ग्रोथ के लिए जलमार्गों को प्रमुख साधन के रूप में प्रस्तुत किया
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कम लागत, दक्ष और पर्यावरण अनुकूल माल परिवहन माध्यम के रूप में हुए विकसित
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भारत मेरीटाइम वीक-2025 उषा पाढ़ी ने अंतर्देशीय और तटीय जलमार्ग संपर्क को सुदृढ़ करने की पहलों को रेखांकित किया
भुवनेश्वर। भारत मेरीटाइम वीक 2025 के अवसर पर ओडिशा सरकार ने सतत और एकीकृत परिवहन विकास के अपने दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान “नेविगेटिंग ग्रोथ: इनलैंड वॉटरवेज इन द फोरफ्रंट ऑफ फ्यूचर ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स” विषय पर आयोजित उच्चस्तरीय पैनल चर्चा में उषा पाढ़ी, प्रमुख सचिव (आवास एवं शहरी विकास तथा वाणिज्य एवं परिवहन विभाग) ने राज्य की अंतर्देशीय और तटीय जलमार्ग संपर्क को सुदृढ़ करने की पहलों को रेखांकित किया।
अपने संबोधन में उषा पाढ़ी ने कहा कि ओडिशा की नदियां और तटीय क्षेत्र सदियों से वाणिज्य और संस्कृति की जीवनरेखा रहे हैं। राज्य अब इस गौरवशाली धरोहर को आधुनिक और सतत जलमार्ग अवसंरचना के माध्यम से पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे न केवल परिवहन लागत में कमी आएगी, बल्कि हरित और समावेशी आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। अंतर्देशीय जल परिवहन पूर्वी भारत के व्यापारिक संपर्क के भविष्य को दिशा देगा।
वाणिज्य एवं परिवहन विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सत्र में भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों के पुनरुद्धार और आधुनिकीकरण पर चर्चा हुई, ताकि उन्हें कम लागत, दक्ष और पर्यावरण अनुकूल माल परिवहन माध्यम के रूप में विकसित किया जा सके। चर्चा में तटीय–अंतर्देशीय संपर्क, मल्टीमॉडल एकीकरण, लॉन्ग-हॉल कार्गो मूवमेंट और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता जैसे विषयों पर विशेष रूप से विचार किया गया।
उषा पाढ़ी ने ओडिशा की नीली समुद्री अवसंरचना के विकास और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब्स की स्थापना के लिए राज्य की रणनीतिक रूपरेखा साझा की, जो बंदरगाहों, नदियों और औद्योगिक क्लस्टरों को आपस में जोड़ेंगे। उन्होंने राज्य सरकार के पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप स्मार्ट लॉजिस्टिक्स समाधान और ग्रीन ट्रांसपोर्ट पहलों पर जोर दिया, जो सर्कुलर इकोनॉमी और सतत विकास लक्ष्यों के सिद्धांतों के अनुरूप हैं।
पैनल चर्चा में नीतिगत और विनियामक सुधारों पर भी विचार किया गया, जिससे उद्योग सहभागिता को प्रोत्साहन, कस्टम्स और कार्गो हैंडलिंग सिस्टम को सुचारु करने और वेसल डिजाइन के मानकीकरण से संचालन दक्षता बढ़ाने पर बल दिया गया। “रीवाइवल ऑफ वॉटरवेज एंड सर्कुलर इकोनॉमी” पर आयोजित विशेष सत्र में निष्क्रिय नदी मार्गों के पुनर्जीवन और वेस्ट-टू-वैल्यू मॉडल्स को नदी परिवहन तंत्र में शामिल करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।
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