Home / Odisha / एम्स भुवनेश्वर में जोंक थेरेपी की शुरुआत

एम्स भुवनेश्वर में जोंक थेरेपी की शुरुआत

  •  ठीक न होने वाले अल्सर, वैरिकाज वेन्स और एक्जिमा जैसी बीमारियों का होगा इलाज

  •  आयुर्वेद दिवस दिवस पर आयुषवाणी पत्रिका का विमोचन किया

भुवनेश्वर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भुवनेश्वर ने आयुर्वेदिक चिकित्सा में नया कदम बढ़ाते हुए जोंक थेरेपी की शुरुआत की है। इस आधुनिक आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से ठीक न होने वाले अल्सर, वैरिकाज वेन्स और एक्जिमा जैसी जटिल बीमारियों का इलाज संभव होगा। इसकी शुरुआत आयुर्वेद दिवस के मौके पर की गई। इसके साथ ही आयुषवाणी पत्रिका का भी विमोचन किया गया, जो आयुर्वेदिक स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित नवीन जानकारी और अनुसंधान को जनता तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगा।

एम्स, भुवनेश्वर ने कल ओपीडी फोयर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के माध्यम से 10वां आयुर्वेद दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया। इस कार्यक्रम में कार्यकारी निदेशक डॉ आशुतोष बिस्वास ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जिन्होंने दैनिक स्वास्थ्य सेवा में आयुर्वेद की बढ़ती प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ एकीकृत करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता दोहराई।

इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा आंतरिक पत्रिका ‘आयुषवाणी’ के प्रथम संस्करण का विमोचन किया गया। यह पत्रिका आयुष विभाग से संबंधित नवीनतम जानकारी, अंतर्दृष्टि और शोध विकास को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगी।

आयुष विभाग में ओपीडी और आईपीडी सेवाएं

एम्स भुवनेश्वर का आयुष विभाग बाह्य रोगी (ओपीडी) और अंतः रोगी (आईपीडी) दोनों प्रकार की सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह पंचकर्मा, शिरोधारा, जनुबस्ती, कटि बस्ती, शिरोबस्ती, नेत्र क्रियाकल्प, यौगिक क्रियाओं सहित शास्त्रीय आयुर्वेदिक उपचारों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। डॉ बिस्वास ने बताया कि विभाग एक समर्पित फार्मेसी भी चलाता है जो मरीजों को आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी दवाएं निःशुल्क प्रदान करती है।

पंचकर्म प्रक्रियाओं से हो रहा कई इलाज

फिस्टुला और पिलोनिडल साइनस सहित गुदा संबंधी विकारों के प्रबंधन के लिए एक समर्पित क्षारसूत्र ऑपरेशन थियेटर भी कार्यरत है। इसके अलावा, ग्लूकोमा और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसे नेत्र विकारों का प्रबंधन क्रियाकल्प और पंचकर्म प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा रहा है।

आयुष विभाग को निर्बाध रोगी रेफरल और निदान के लिए अन्य नैदानिक इकाइयों के साथ एकीकृत किया गया है। चल रहे शोध में मधुमेह, डिस्लिपिडेमिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड गठिया, पीसीओएस, बांझपन और त्वचा रोगों सहित कई प्रकार की स्थितियों को शामिल किया गया है।

डिजिटल नाड़ी परीक्षा से उपचार शुरू करने की योजनाएं

डिजिटल नाड़ी परीक्षा (नाड़ी तरंगिनी) का उपयोग करके व्यक्तिगत उपचार शुरू करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। सामुदायिक आउटरीच के हिस्से के रूप में नियमित आयुष स्वास्थ्य शिविर और बच्चों के लिए मासिक स्वर्ण बिंदु प्राशन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक डॉ आशुतोष बिस्वास, चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिलीप कुमार परिडा, डीडीए लेफ्टिनेंट कर्नल अभिजीत सरकार, आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी एवं प्रमुख डॉ प्रशांत कुमार साहू, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ अजीत कुमार प्रधान, संकाय सदस्य, कर्मचारी और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

इस समारोह में स्वास्थ्य सेवा के प्रति एम्स भुवनेश्वर के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाया गया, जिसमें समय-परीक्षित पारंपरिक प्रथाओं को साक्ष्य-आधारित आधुनिक चिकित्सा के साथ मिश्रित किया गया।

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

एम्स भुवनेश्वर ने हेल्थ-टेक नवाचारों को दी नई उड़ान

    33 स्टार्टअप आइडियाज को मिला उत्पाद विकास और व्यावसायीकरण की दिशा में मार्गदर्शन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *