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बिना जांच 72 छात्रों पर ‘नकल’ का ठप्पा लगाने पर उठाए सवाल
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कहा-उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लिया गया है निर्णय
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प्रभावित छात्रों की ओर से दाखिल 15 याचिकाओं पर सुनवाई
भुवनेश्वर। ओडिशा हाईकोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि बरगड़ और पदमपुर के दो स्कूलों के बारहवीं कक्षा के 72 छात्रों को बोर्ड परीक्षा में नकल करने का दोषी ठहराना उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किया गया निर्णय है, जो छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति दिक्षित कृष्ण श्रीपाद ने प्रभावित छात्रों की ओर से दाखिल 15 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीएसई का फैसला उसके अपने उपविधियों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। कोर्ट ने हालांकि तुरंत परिणाम प्रकाशित करने का आदेश नहीं दिया, बल्कि मामले की नई जांच का निर्देश देते हुए इसे छात्रों के अधिकार और अकादमिक निष्पक्षता के बीच ‘स्वर्ण संतुलन’ बताया।
सुने जाने का अवसर नहीं छीन सकता
मामला तब सामने आया जब 26 मई को इन छात्रों के परिणाम रोक दिए गए और बोर्ड ने सामूहिक नकल का आरोप लगाया। सीबीएसई ने अपने बचाव में कहा कि सीसीटीवी फुटेज गायब है और ‘विशेष परिस्थितियों’ में उपविधि-36 को दरकिनार किया गया। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और टिप्पणी की कि यदि भगवान ने आदम और ईव को सुने जाने का अवसर दिया, तो सीबीएसई भी छात्रों और उनके अभिभावकों से यह अधिकार नहीं छीन सकता।
सीसीटीवी फुटेज गायब होने पर स्कूलों को भी फटकार
कोर्ट ने संबंधित स्कूलों को भी फटकार लगाई और सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने में विफल रहने पर नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति ने कहा कि केवल प्राचार्यों का निलंबन पर्याप्त नहीं है।
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