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करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक कार्यालय परिसर में ड्यूटी करता रहा हत्यारोपी दीपक
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अब उठे सुरक्षा और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल
भुवनेश्वर। महिला ट्रैफिक कांस्टेबल शुभमित्रा साहू हत्याकांड में पुलिस जांच ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया है। आरोपी और पुलिस कमिश्नरेट दफ्तर में तैनात क्लर्क दीपक राउत ने 6 सितम्बर को हत्या के बाद शुभमित्रा का शव अपनी कार में रखा और उसे सीधे पुलिस सेवा भवन की पार्किंग में खड़ा कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि दीपक करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक कार्यालय परिसर में ड्यूटी करता रहा, जबकि शव उसी कार में बंद पड़ा था।
हत्या के बाद भी निभाई “नॉर्मल” ड्यूटी
सूत्रों के मुताबिक, 6 सितम्बर को दोपहर लगभग 3 बजे दीपक कार लेकर पुलिस सेवा भवन पहुंचा और पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर दी। उस समय शुभमित्रा का शव कार के अंदर ही था। इसके बाद वह करीब 4 बजकर 15 मिनट तक दफ्तर में अपनी सामान्य जिम्मेदारियां निभाता रहा, मानो कुछ हुआ ही न हो। इतना ही नहीं, इस दौरान दफ्तर में मौजूद किसी को भी इस खौफनाक साजिश का आभास तक नहीं हुआ। कार्यालय से ड्यूटी खत्म करने के बाद दीपक ने शव को लेकर केन्दुझर की ओर रुख किया।
एक नई मोड़ ले चुकी है जांच
इस नई जानकारी के सामने आने से जांच एक नई मोड़ ले चुकी है, जिससे गंभीर खामियां उजागर हुई हैं और सवाल उठ रहे हैं कि इतना जघन्य कृत्य कैसे हो सकता है और वाहन बिना किसी की नजर में आए और बिना किसी का ध्यान आकर्षित किए पुलिस परिसर में कैसे खड़ा किया जा सकता है।
इस पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि दीपक राउत शुरू से ही संदिग्ध था। हालांकि, संदेह के बावजूद, कोई सबूत उपलब्ध नहीं था। ऐसा इसलिए था क्योंकि शुभमित्रा ने लगभग दो हफ़्ते पहले (6 सितंबर से पहले) अपने एक चैट संदेश (एक मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म पर) में व्यक्त किया था कि वह निराश थी और कहीं छिपना चाहती थी।
पुलिस प्रमुख ने आगे कहा कि शुरू में हमें लगा कि शायद वह संपर्क से बाहर हो गई है। चूंकि वह कृष्ण की एक उत्साही भक्त थी, इसलिए हमें कई धार्मिक स्थलों पर उसकी तलाश शुरू करनी पड़ी।
आरोपी हुआ सस्पेंड और गिरफ्तार
हत्या के खुलासे के बाद डीसीपी भुवनेश्वर ने गुरुवार को दीपक को निलंबित कर दिया। राजधानी थाने की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।