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कोरोना का खौफ, इलाज कराने में विलंब करके तीन हजार मरीजों ने गंवाई अपनी जान

  • एससीबी मेडिकल में साढ़े तीन महीने के आंकड़ों से हुआ खुलासा

  • कोरोना के भय से अस्पताल नहीं आ रहे हैं पुराने मरीज

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर

ओडिशा में न सिर्फ कोरोना वायरस अपना कहर बरपा रहा है, बल्कि इसका खौफ भी सितम ढाह रहा है. दैनिक जागरण डाट काम वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा में कोरोना के खौफ के कारण इलाज कराने विलंब करके तीन हजार मरीजों ने अपनी जान गंवा दी है. वेबसाइट के अनुसार, ये सभी मामले ओडिशा के सबसे बड़े अस्ताल श्रीरामचंद्र भंज मेडिकल कालेज व अस्पताल से जुड़े हैं.

यहां के आकड़े चिंता की लौ जला रहे हैं. खबर में दावा किया गया है कि कोविद-19 के कारण जारी लाकडाउन के दौरान पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण से जितनी लोगों की मौत हुई है, उससे कई गुना ज्यादा लोगों की मौत अकेले एससीबी मेडिकल में कोरोना के खौफ के कारण हुई है. साढ़े तीन महीने के लाकडाउन के दौरान एससीबी मेडिकल में दूसरी बीमारी से पीड़ित तीन हजार लोगों ने दम तोड़ दिया है.

इन लोगों की मृत्यु के पीछे का कारण कोरोना भय को माना गया है, क्योंकि कोरोना के भय के कारण विभिन्न गम्भीर बीमारी से पीड़ित लोग समय पर अपना इलाज कराने अस्पताल नहीं गए और जब अस्पताल पहुंचे तब तक उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उन्हें बचाना मुश्किल हो गया.

वेबसाइट ने दावा किया है कि अनेकों पुराने मरीज जिनका नियमित इलाज चल रहा था, वे कोरोना के भय से एससीबी मेडिकल में इलाज के लिए नहीं आ रहे हैं. हालांकि कितने पुराने मरीज इलाज के लिए नहीं आ रहे हैं, उसका तथ्य किसी के पास नहीं है, मगर पिछले साढ़े तीन महीने में तीन हजार से अधिक मरीज की मौत एससीबी मेडिकल में हुई है.

दैनिक समाचार वेबसाइट ने यह दावा किया है कि एससीबी मेडिकल में खोले जाने वाले कोरोना आईसोलेशन वार्ड में दो महीने में लगभग 40 लोगों की मृत्यु हुई है. किसी का वेंटिलेटर में इलाज चल रहा था और जीवन चला गया तो और कुछ मरीज भर्ती होने के आधे घंटे बाद ही दम तोड़ दिए. कोरोना की जांच रिपोर्ट के अनुसार इनकी मौत

कोविद-19 से नहीं हुई है. लेकिन मृत्यु का कारण खोजा जा रहा है. वेबसाइट ने सवाल उठाया है कि यदि इन मरीजों को कोरोना नहीं हुआ था तो फिर इन्हें स्वाइन फ्लू या फिर डेंगू था क्या, उसकी जांच के लिए कोई भी परीक्षण नहीं किया जा रहा है. केवल कोरोना परीक्षण कर मरीज के शव को छोड़ दिया जा रहा है.

वेबसाइट के अनुसार, एससीबी मेडिकल का तथ्य कह रहा है कि कोरोना के कारण एससीबी में आने वाले मरीजों की संख्या पहले की तरह नहीं है और पहले की तुलना में मृत्यु संख्या में भी कमी आयी है. हालांकि हकीकत यह कि अस्पताल में मरीज कम आ रहे हैं मृतकों की संख्या बढ़ रही है.

वेबसाइट के अनुसार, एससीबी के तथ्य के मुताबिक, मार्च महीने में 925, अप्रैल महीने में 669, मई महीने में 675 एवं जून महीने में 700 लोगों की मौत कटक एसीबी मेडिकल के विभिन्न विभाग में हुई है. वेबसाइट ने कहा है कि कुछ विशेषज्ञों ने माना है कि कोरोना के भय से मरीज इलाज के लिए देरी आ रहे हैं. ऐसे में उनका समय से एवं सही ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है.

नेफ्रोलोजी विभाग में मरीजों की संख्या बढ़ी, पुराने डायलिसिस कराने वालों की संख्या घटी

वेबसाइट ने यह भी दावा किया है कि नेफ्रोलोजी विभाग में पहले से मरीजों की संख्या जितनी थी, उसकी तुलना में मरीजों की संख्या बढ़ी है. यहां तक कि विभिन्न निजी अस्पतालों से भी मरीज डायलिसिस के लिए एससीबी मेडिकल में आ रहे हैं. हालांकि मेडिकल में जो पहले से डायलिसिस मरीज आ रहे थे वे पिछले तीन महीने से नहीं आ रहे हैं. वहीं नए मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कितनी संख्या में पुराने मरीज डायलिसिस के लिए नहीं आ रहे हैं उसका तथ्य नहीं मिल पाया है. केवल इस एक ही ​विभाग में ही नहीं बल्कि हृदयरोग, न्यूरोसर्जरी, एंडोक्रोनोलाजी, हेपाटोलाजी आदि विभिन्न विभाग में अनेक पुराने मरीज एससीबी में इलाज के लिए नहीं आ रहे हैं, मगर विभिन्न निजी अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या यहां बढ़ गई है.

अब कोरोना का प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से जिस प्रकार से दिन-प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, उससे खतरा भी बढ़ने लगा है. हाटस्पाट जोन से आउटडोर को आने वाले मरीज को लेकर डाक्टर चिंता में पड़ गए हैं.

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