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विश्व का पहला ‘एलीफैंट सर्वाइवल सेंटर’ ओडिशा में

  • चंदका गोदीबाड़ी, भुवनेश्वर में होगा स्थापित

  • अनुसंधान, निगरानी और रणनीतियों के माध्यम से प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखने पर होगा फोकस

  • मानव बस्तियों से हाथियों को रखा जाएगा दूर

  • मानव-हाथी सहअस्तित्व पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री मोहन माझी ने की घोषणा

भुवनेश्वर। विश्व का पहला ‘एलीफैंट सर्वाइवल सेंटर’ ओडिशा में स्थापित होगा। यह विश्व का पहला संस्थान होगा जो विशेष रूप से हाथियों के जीवन और संरक्षण पर केंद्रित होगा।

यह केंद्र चंदका गोदीबाड़ी, भुवनेश्वर में स्थापित किया जाएगा और इसमें अंतर्राष्ट्रीय साझेदार संगठन सहयोग करेंगे। केंद्र का उद्देश्य अनुसंधान, निगरानी और रणनीतियों के माध्यम से हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखना और उन्हें मानव बस्तियों से दूर रखना होगा।

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने आज भुवनेश्वर में मानव-हाथी सह-अस्तित्व में सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया और मानव और हाथियों के बीच शांतिपूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान किया।

इस अवसर पर, मुख्यमंत्री माझी ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार आईयूसीएन प्रजाति अस्तित्व आयोग, भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट और कोलंबस चिड़ियाघर एवं एक्वेरियम के सहयोग से भुवनेश्वर के चंदका वन्यजीव प्रभाग के निकट गोदीबाड़ी में दुनिया का पहला एलीफैंट सर्वाइवल सेंटर स्थापित करने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केंद्र न केवल ओडिशा के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए अनुसंधान, नीति और सर्वोत्तम प्रथाओं को आगे बढ़ाएगा। इस पहल ने एशियाई हाथियों के संरक्षण में एक नया वैश्विक मानक स्थापित किया है। यह विज्ञान को आगे बढ़ाने, नीति निर्माण और हाथियों के संरक्षण के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में सामुदायिक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

ओडिशा का हाथियों से सांस्कृतिक संबंध

देश-विदेश से आए गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा में हाथी सिर्फ जानवर नहीं हैं, वे हमारी पहचान, इतिहास और आध्यात्मिकता का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय धरोहर पशु होने के नाते, हाथी सचमुच हमारे दिलों में एक खास जगह रखता है।

बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष पर चिंता जताई

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शहरीकरण और आवासीय दबाव के कारण बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष पर चिंता जताई और इसे रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता बताई।

दो दिवसीय कार्यशाला में 150 से अधिक संरक्षणविदों, नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। इसमें एशिया के हाथी-क्षेत्र वाले देशों, भारत के हाथी-समृद्ध राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और वरिष्ठ वन विभाग अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। चर्चा का मुख्य विषय रहा—मानव और हाथियों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की दीर्घकालिक रणनीति।

हाथी कॉरिडोर में नंबर वन है ओडिशा

मुख्यमंत्री ने बताया कि ओडिशा में करीब 2,100 हाथी हैं और राज्य हाथी कॉरिडोर की दृष्टि से पूरे देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि ओडिशा का हाथियों से प्राचीन और ऐतिहासिक संबंध है। जगन्नाथ संस्कृति में ‘हाथी वेश’ और पुरी गजपति की परंपरा से यह रिश्ता और मजबूत होता है। आज हाथियों के जीवन की रक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राज्य सरकार की है कई पहल

सीएम माझी ने कहा कि संघर्ष कम करने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें जंगलों में जलाशय का निर्माण, वन सुरक्षा समितियों और गजसाथी स्वयंसेवी नेटवर्क को सशक्त करना, विशेष हाथी दस्ते और रैपिड रिस्पॉन्स टीमों की तैनाती, पीड़ित परिवारों को शीघ्र मुआवजा वितरण, हाथियों की निगरानी के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, रेडियो कॉलर और एआई कैमरे का उपयोग करना शामिल हैं।

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