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तटीय क्षेत्रों में कीमत गिरी, किसानों को करोड़ों का नुकसान
भुवनेश्वर। अमेरिका द्वारा झींगा आयात पर 50 प्रतिशत कर लगाने के निर्णय ने ओडिशा की झींगा खेती को गहरी चोट पहुंचाई है। गंजाम से लेकर बालेश्वर तक फैले ओडिशा के समुद्री तट लंबे समय से झींगा उत्पादन और निर्यात का प्रमुख केंद्र रहे हैं। करोड़ों रुपये के इस उद्योग पर अचानक बढ़े कर ने संकट खड़ा कर दिया है, जिससे किसान और व्यापारी दोनों ही कठिनाई झेल रहे हैं।
पहले 25 प्रतिशत और फिर अतिरिक्त 25 प्रतिशत कर लगाए जाने से कीमतों में गिरावट आई है। कई क्षेत्रों में झींगा के दाम रातों-रात 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक घट गए। परिणामस्वरूप किसानों को प्रति टन लगभग 20 हजार रुपये तक का नुकसान हो रहा है। 500 किलोमीटर से अधिक तटीय क्षेत्र और हजारों झींगा तालाबों वाले ओडिशा में इस असर को सबसे ज्यादा महसूस किया जा रहा है।
परंपरागत झींगा किसान खिरोद बिस्वाल ने कहा कि हम पीढ़ियों से इस खेती में जुड़े हैं। नए कर के कारण झींगा की कीमत 20 रुपये प्रति किलो तक घट गई है। इसका सीधा और अप्रत्यक्ष नुकसान हमें उठाना पड़ रहा है। वहीं, एक अन्य किसान जितेंद्र नायक ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि पहले वाली दर बहाल हो। यदि ऐसा न हुआ तो ओडिशा से झींगा खेती ही समाप्त हो जाएगी।
समुद्री उत्पाद निर्यात में झींगा की सबसे बड़ी हिस्सेदारी
झींगा की खेती खारे और मीठे दोनों तरह के जलाशयों में की जाती है और इसकी सबसे अधिक मांग अमेरिकी रेस्तरां में रहती है। भारत हर साल करोड़ों रुपये का समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जिसमें झींगा की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। अकेले अमेरिका के साथ भारतीय कंपनियां लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का झींगा व्यापार करती हैं।
कुल कर बोझ 58 प्रतिशत तक पहुंचा
पहले अमेरिका में समुद्री उत्पादों पर केवल आठ प्रतिशत शुल्क लगता था, लेकिन अब यह 50 प्रतिशत हो गया है। इस कारण कुल कर बोझ 58 प्रतिशत तक पहुंच गया है। तुलना करें तो इक्वाडोर पर केवल 10 प्रतिशत और इंडोनेशिया पर 20 प्रतिशत कर है। इससे भारतीय झींगा की अमेरिकी बाजार में कीमत बढ़ जाएगी और मांग घटने की आशंका है।
उद्योगपति तारा रंजन पटनायक ने कहा कि यदि सभी देशों पर समान शुल्क लगाया जाता तो कोई दिक्कत नहीं होती। परंतु अब इक्वाडोर पर 10 प्रतिशत, वियतनाम पर 20 प्रतिशत और इंडोनेशिया पर 19 प्रतिशत शुल्क है, जबकि भारत पर 50 प्रतिशत। ऐसे हालात में अमेरिका हमारी आयात मात्रा घटा देगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो केवल झींगा उद्योग ही नहीं, बल्कि पूरे समुद्री उत्पाद निर्यात कारोबार को गहरा झटका लग सकता है।