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फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में विस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक गिरफ्तार

  • ईडी ने छापेमारी के बाद की गिरफ्तारी

  • फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में रिलायंस का नाम भी शामिल

  • भुवनेश्वर की विस्वाल ट्रेडलिंक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

  • फर्जी एसबीआई ईमेल डोमेन के जरिए 68 करोड़ की बैंक गारंटी घोटाले का खुलासा

भुवनेश्वर। फर्जी बैंक गारंटी जारी करने के एक बड़े घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ओडिशा की एक कंपनी विस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई शुक्रवार को भुवनेश्वर में की गई, जहां ईडी ने कंपनी के तीन ठिकानों और कोलकाता में एक सहयोगी इकाई पर छापेमारी की थी।

यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू किया गया। ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बिस्वाल ट्रेडलिंक नाम की यह कंपनी भारी कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करती थी।

रिलायंस समूह धोखाधड़ी का शिकार बना

ईडी सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने रिलायंस नू बेस लिमिटेड (रिलायंस पॉवर की एक सहायक कंपनी) की ओर से सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को 68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी सौंपी थी। इस मामले में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह ने खुद को इस धोखाधड़ी का शिकार बताया है और अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस को आपराधिक शिकायत दी थी।

ईडी ने फर्जी डोमेन की जानकारी मांगी

जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नाम से मेल भेजने के लिए एक नकली डोमेन का इस्तेमाल किया, जिससे सरकारी संस्थाओं को यह भ्रम हुआ कि यह संचार एसबीआई से आ रहा है। ईडी ने इस डोमेन की जानकारी के लिए नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एआईएक्सआई) को पत्र लिखा है।

अब तक सात अघोषित बैंक खातों से लेनदेन

ईडी ने अब तक कंपनी के सात अघोषित बैंक खातों और भारी मात्रा में संदेहास्पद वित्तीय लेनदेन का पता लगाया है, जो उसके घोषित टर्नओवर से कहीं अधिक है। सूत्रों ने दावा किया है कि कंपनी सिर्फ कागजों पर ही अस्तित्व में है और उसका पंजीकृत कार्यालय एक रिश्तेदार के मकान से चल रहा था, जहां से कोई व्यावसायिक दस्तावेज नहीं मिले।

टेलीग्राम ऐप पर डिसअपीयरिंग मैसेज मोड का इस्तेमाल

इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि कंपनी के प्रमुख टेलीग्राम ऐप पर डिसअपीयरिंग मैसेज मोड का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे संवादों को छुपाया जा सके।

पार्थ सारथी बिस्वाल को अदालत ने 6 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। ईडी अब अन्य कंपनियों के साथ हुए संदिग्ध लेनदेन की भी जांच कर रही है, जिससे इस घोटाले का दायरा और बड़ा हो सकता है।

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