Home / Odisha / महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती पर कवियों ने शब्दों में गढ़े विश्व एकता के संदेश

महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती पर कवियों ने शब्दों में गढ़े विश्व एकता के संदेश

  • राम, अली, रसखान और कबीर को बताया सामाजिक समरसता की नींव

  • नेताओं के दलबदल से लेकर बेटियों की विदाई तक उठाए गंभीर सवाल

  • सरकारी अस्पतालों की अवस्था और विभिन्न मुद्दों को लेकर जमकर तंज

भुवनेश्वर। महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती पर स्थित साहित्य और संस्कृति की नगरी भुवनेश्वर के भंज कला मंडप में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के प्रसिद्ध कवियों ने अपने शब्दों में विश्व एकता के संदेश गढ़े और उन्होंने राम, अली, रसखान और कबीर को बताया सामाजिक समरसता की नींव बताया।

इसके साथ ही विश्व एकता के खिलाफ साजिश रचने वालों, सामाजिक समरसता को चोट पहुंचाने वाले, राजनीतिक हालात और पारिवारिक अमूल्यों पर ऐसी चोट की कि पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।

इस भव्य काव्य संध्या में डॉ. विष्णु सक्सेना, सर्वेश अस्थाना, सबीना अदीब, आशीष अनल और मुकुल महान जैसे प्रख्यात कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से न केवल भावनाओं को छुआ बल्कि समाज और व्यवस्था पर करारा व्यंग्य भी किया।

इस कार्यक्रम में शहर के वरिष्ठ समाजसेवी और विशिष्ट अतिथियों के साथ भुवनेश्वर पुलिस आयुक्त की उपस्थिति ने आयोजन को और गरिमा प्रदान की।

कवयित्री सबीना अदीब ने सरस्वती बंदना ने बांधी समाज को डोर

विश्व विख्यात शेयर सबीना अदीब ने कार्यक्रम की शुरुआत में मां सरस्वती की वंदना पेशकर समाज को एक डोर से बांध दिया। उन्होंने इस वंदना के जरिए स्पष्ट किया कि हिंदू और मुस्लिम से ऊपर है भारत की संस्कृति और समरसता।

अपनी प्रस्तुति में राम, रसखान, अली और कबीर को सामाजिक एकता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि हिंदू और मुस्लिम से पहले हम सब हिंदुस्तानी हैं।

सबीना ने अपनी रचना के माध्यम से भारत पर नजर रखने वाले विदेशी ताकतों को भी जवाब देते हुए कहा कि भारत की एकता की डोर इतनी कमजोर नहीं कि उसे कोई आसानी से तोड़ दे।

डॉ विष्णु सक्सेना ने दी बेटियों और पिता के रिश्ते पर भावुक प्रस्तुति

डॉ विष्णु सक्सेना ने अपनी चिर-परिचित चार पंक्तियों की शैली में बेटियों की विदाई पर ऐसा मार्मिक चित्रण किया कि श्रोताओं की आंखें नम हो गईं। उन्होंने सवाल उठाया कि यह कैसी परंपरा है जिसमें बेटी को उसके ही घर से विदा किया जाता है?

उनकी कविताएं पिता के मन की पीड़ा और बेटियों की मासूमियत का गहरा संवेदनशील चित्र प्रस्तुत करती रहीं।

मुकुल महान ने नेताओं के दलबदल पर करारा व्यंग्य

मुकुल महान ने नेताओं के बदलते रवैये और दलबदल पर तंज कसते हुए कहा कि अब नेता पार्टी नहीं, पत्नियां बदलते हैं, वो भी आधार कार्ड की तरह।

उनकी रचनाओं में व्यंग्य के माध्यम से व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए, उन्होंने कहा कि अब तो उल्लू सीधा करना ही प्रशासन की नीति बन गई है।

व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष, सरकारी अस्पतालों पर भी टिप्पणी

कवियों ने सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में इलाज से ज्यादा सब्र की जरूरत होती है। साथी उन्होंने अस्पताल में होने वाली गड़बड़ियों को भी रेखांकित किया तथा बताया कि कैसे जिंदा लोगों का वहां पोस्टमार्टम भी करने का प्रयास होता है इसके अलावा गलत इंजेक्शन देने की खबरों को भी उन्होंने अपनी कविताओं में उकेरा।

परिवारिक विवादों पर भी मिला समाधान

परिवार के झगड़ों और टूटते रिश्तों पर भी कवियों ने गहरी चिंता जताई। अपनी कविता में कवि ने सुझाया कि अगर संवाद जीवित है तो विवाद मर सकता है, लेकिन जहां संवाद मरा हो, वहां परिवार बिखरते हैं।

वीर रस की कविता से गूंजा मंच, आशीष अनल ने जगाई देशभक्ति की भावना

कवि आशीष अनल ने जब मंच पर वीर रस की रचनाएं प्रस्तुत कीं, तो पूरा सभागार देशभक्ति के जोश से भर उठा। उनकी ओजपूर्ण कविताओं ने न केवल श्रोताओं के रोंगटे खड़े कर दिए, बल्कि हर दिल में मातृभूमि के प्रति गर्व और समर्पण की भावना जगा दी। युद्धभूमि के चित्र, शूरवीरों की गाथाएं और बलिदान की पुकार जब उनकी वाणी से निकली, तो पूरा माहौल उत्साह और सम्मान से गूंज उठा। श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया, मानो कविता नहीं, कोई रणभेरी बज रही हो।

राम पर कविता ना लिखकर सब कुछ कह गए सर्वेश अस्थाना

विख्यात कवि सर्वेश अस्थाना ने समाज में फैली विकृतियों को लेकर जमकर प्रहार किया। उन्होंने राम पर कविता लिखने के प्रयासों का जिक्र करते हुए भाई के प्यार के बीच खाई बना रही लालच, पिता को वृद्ध आश्रम भेजने तथा घर में पत्तियों के साथ हो रहे अत्याचार पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि यह सब होते हुए वह प्रभु श्री राम के किसी भी विषय पर कविता नहीं रच सकते, लेकिन उन्होंने प्रभु श्रीराम के सभी गुणों को इन विषयों के जरिए पेश किया।

ओडिशा के विख्यात कवियों ने बांधी समां, लोक भावनाओं से जोड़ी कविता की डोर

कार्यक्रम में ओडिशा के विख्यात कवियों ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं के हृदय से सीधा संवाद स्थापित किया। किशन खंडेलवाल, मुरारीलाल लडानिया और विक्रमादित्य सिंह जैसे वरिष्ठ कवियों ने स्थानीय संस्कृति, जनभावनाओं और सामाजिक मूल्यों को केंद्र में रखकर ऐसी प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने माहौल को आत्मीयता से भर दिया। उनकी कविताओं में ओडिशा की माटी की खुशबू, आम जन की संवेदनाएं और सामाजिक सरोकार साफ झलकते थे। श्रोताओं ने न केवल इन प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया, बल्कि बार-बार तालियों से उनका उत्साह भी बढ़ाया। इन रचनाकारों ने यह साबित कर दिया कि ओडिशा की साहित्यिक परंपरा आज भी उतनी ही सशक्त और जीवंत है।

गणमान्य अतिथियों से सजा मंच

कार्यक्रम में समाज के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे, जिसमें एआरएसएस चेयरमैन सुभाष अग्रवाल, मारवाड़ी सोसाइटी, भुवनेश्वर के अध्यक्ष संजय लाठ, मारवाड़ी युवा मंच की अध्यक्ष गीतांजलि अग्रवाल, अग्रवाल सम्मेलन भुवनेश्वर के अध्यक्ष राजेश केजरीवाल, प्रदेश अध्यक्ष नथमल चनानी, कटक मारवाड़ी समाज के पूर्व अध्यक्ष विजय खंडेलवाल, क्रेड़ाई ओडिशा के चेयरमैन डीएस त्रिपाठी, भाजपा नेता मुरली शर्मा और उमेश खंडेलवाल, बीजद नेता नंदलाल सिंह, ओडिशा के विख्यात कवि किशन खंडेलवाल, आरके शर्मा, मुरारीलाल लढानिया और विक्रमादित्य सिंह और भुवनेश्वर पुलिस आयुक्त एस देव दत्त सिंह भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इन सभी अतिथियों की उपस्थिति में आयोजन और भी गरिमामयी हो गया।

श्रोताओं से खचाखच भरा रहा भंज कला मंडप

कार्यक्रम के प्रति लोगों की उत्सुकता और प्रेम इतना अधिक था कि भंज कला मंडप का पूरा परिसर खचाखच भरा हुआ था। हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट यह साबित कर रही थी कि श्रोता न सिर्फ कविता से जुड़ रहे हैं, बल्कि उसमें अपनी संवेदनाएं भी देख रहे हैं।

कविता के माध्यम से समाज को दिया मजबूत संदेश

इस अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने यह दिखा दिया कि कविता केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने का माध्यम है।

डॉ. सक्सेना की पंक्तियों ने बेटियों के प्रति एक नई विचारधारा को सृजित करने का आह्वान किया।

यह सम्मेलन न केवल साहित्यिक उपलब्धि रहा, बल्कि समाज को जोड़ने, सच्चाई को उजागर करने और व्यवस्था पर सवाल उठाने का भी माध्यम बना।

Share this news

About admin

Check Also

Mahanadi महानदी में बढ़ते जलस्तर से मंदिरों और गांवों पर मंडराया संकट

महानदी में बढ़ते जलस्तर से मंदिरों और गांवों पर मंडराया संकट

भुवनेश्वर। ओडिशा में लगातार बारिश और हीराकुद बांध के 20 फाटकों के खुलने के बाद …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *