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भुवनेश्वर में मकान हुए सबसे महंगे

  •  अमीरों को भी घर खरीदने में लग रहे 50 साल

  •  ओडिशा की राजधानी देश के महंगे शहरों की सूची में तीसरे नंबर पर

  •  एक खास अध्ययन से हुआ खुलासा(फोटो-बीबीएसआर)

भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर अब उन शहरों में आ गई है, जहां एक साधारण घर खरीदना भी लोगों के लिए बहुत कठिन हो गया है। सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि सबसे ज्यादा कमाई करने वाले लोग यानी समाज के टॉप 5% अमीर लोगों को भी यहां घर खरीदने के लिए 50 साल से ज्यादा की बचत करनी पड़ सकती है। इसका मतलब है कि वे हर साल अपनी कमाई में से एक तय हिस्सा बचाएं, तब जाकर पांच दशकों के बाद एक घर खरीद पाएंगे। इस स्थिति ने भुवनेश्वर को देश के सबसे कम किफायती शहरों में शामिल कर दिया है।

यह जानकारी राष्ट्रीय आवास बोर्ड (एनएचबी) और टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा किए गए एक खास अध्ययन से सामने आई है। इस अध्ययन में 2025 तक के अनुमानित घरों की कीमतों और लोगों की औसतन आय के आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। इसका मकसद यह समझना था कि अलग-अलग राज्यों के लोग कितने साल में अपनी बचत से एक घर खरीद सकते हैं।

अमीरों के लिए भी घर खरीदना आसान नहीं

रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन राज्य के टॉप 5% अमीर शहरी परिवारों की सालाना आय और उनकी औसतन बचत की क्षमता पर आधारित है। इसमें यह भी ध्यान में रखा गया है कि देश में औसतन लोग अपनी आय का 30.2% हिस्सा बचा सकते हैं, लेकिन भुवनेश्वर में समस्या यह है कि यहां मकानों की कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि अच्छी-खासी कमाई और बचत करने वाले लोगों के लिए भी घर खरीद पाना आसान नहीं है।

उदाहरण के तौर पर, भुवनेश्वर में एक सामान्य 1,184 वर्ग फीट का मकान, जिसे एनएचबी ने औसत मानक माना है, करीब 1 करोड़ रुपये या उससे भी ज्यादा का होता है। इतनी कीमत चुकाने के लिए लोगों को सालों-साल तक बचत करनी होगी और वो भी तब जब उनकी आमदनी राष्ट्रीय औसत से ऊपर है।

महंगे शहरों की लिस्ट में भुवनेश्वर

इस अध्ययन में देश के 10 ऐसे बड़े शहरों को शामिल किया गया है, जहां मकान खरीदने में लोगों को सबसे ज्यादा समय लगता है। इस सूची में मुंबई पहले नंबर पर है, जहां एक घर खरीदने के लिए 109 साल तक बचत करनी होगी। इसके बाद गुड़गांव (63 साल) और फिर भुवनेश्वर का नंबर आता है, जहां 50 साल या उससे ज्यादा की बचत जरूरी बताई गई है।

दूसरी ओर, चंडीगढ़ और जयपुर जैसे शहरों में यह समय 15 से 20 साल के बीच है, जिससे यह साफ होता है कि भुवनेश्वर में प्रॉपर्टी की कीमतें आमदनी के मुकाबले तेजी से बढ़ रही हैं।

अब सपना बनता जा रहा है अपना घर

भुवनेश्वर पहले ऐसा शहर माना जाता था, जहां रहना सस्ता और सुविधाजनक था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। यहां मकानों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि मध्यम वर्ग और कम आय वाले लोगों के लिए तो घर खरीदना एक सपना बन गया है। लगातार बढ़ती महंगाई और ज़मीन की कीमतों ने यह संकट और भी गहरा कर दिया है।

सरकार की किफायती आवास योजना

इस संकट को देखते हुए ओडिशा सरकार ने 15 लाख से 50 लाख रुपये की कीमत में घर उपलब्ध कराने की एक योजना तैयार की है। इसका उद्देश्य यह है कि कम और मध्यम आय वर्ग (एलआईजी और एमआईजी) के लोग भी आसानी से घर खरीद सकें। यह मकान भुवनेश्वर और उसके आसपास के नए क्षेत्रों में बनाए जाएंगे। सरकार का यह कदम ‘ग्रेटर भुवनेश्वर’ योजना के अंतर्गत शहर को विस्तार देने और उसमें रहने की सुविधा बढ़ाने का हिस्सा है।

शहर के विस्तार की तैयारी

भुवनेश्वर में आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही, शहर में ज़मीन की कमी, भीड़-भाड़ और बुनियादी सुविधाओं पर बढ़ते दबाव जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने टाउन प्लानिंग स्कीम (टीपीएस) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत शहर की सीमा को बढ़ाकर आसपास के नए इलाकों में आवासीय, व्यावसायिक और सार्वजनिक उपयोग के लिए ज़मीन विकसित की जाएगी।

गरीबों और मध्यम वर्ग के सामने चुनौती और भी बड़ी

भले ही सरकार योजनाएं बना रही है और शहर के विस्तार की दिशा में काम कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि आज भुवनेश्वर में मकान खरीदना पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है, खासकर उनके लिए जो मध्यम या सीमित आमदनी वाले हैं। यदि देश के सबसे अमीर 5% लोगों को भी घर खरीदने में आधी सदी लग रही है, तो गरीबों और मध्यम वर्ग के सामने चुनौती और भी बड़ी है।

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