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“एक पेड़ मां के नाम 2.0” अभियान की शुरुआत पर केंद्रीय मंत्री ने जारी किया वीडियो संदेश
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5 जून से 30 सितंबर तक 10 करोड़ पौधे रोपने का आह्वान
भुवनेश्वर। “एक पेड़ मां के नाम” यानी “मां के नाम पर एक पेड़” यह प्रकृति के सम्मान में एक बड़ी प्रतिबद्धता है। इस वर्ष इस व्यापक पौधरोपण अभियान को और विस्तार देते हुए “मां के नाम एक पेड़ 2.0” की शुरुआत की जा रही है। इस दूसरे चरण के तहत 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस से लेकर 30 सितंबर तक देशभर में 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वीडियो संदेश के माध्यम से खासकर छात्रों से इस अभियान में भाग लेने की अपील की है।
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि “एक पेड़ मां के नाम” एक भावनात्मक विचार है। भारत सरकार ने इसे एक व्यापक पौधरोपण अभियान के रूप में शुरू किया था। पर्यावरण की रक्षा करना और आमजन में पेड़ लगाने की जागरूकता फैलाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। देशवासियों की सफल कोशिशों से “मां के नाम एक पेड़” एक बड़े जनांदोलन में तब्दील हो गया है।
अब तक साढ़े 5 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए
इस अभियान के तहत देशभर में अब तक साढ़े 5 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं। यह सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि अपनी मां के प्रति हमारा स्नेह, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। यह धरती मां के प्रति हमारे लगाव और गहरे जुड़ाव का संकेत है।
छत्तीसगढ़ में बच्चों और महिलाओं द्वारा तैयार किए गए बीज बॉल, त्रिपुरा में पौधरोपण को लेकर उठाए गए कदम और राजस्थान में 1.5 करोड़ पौधारोपण जैसे प्रयासों ने इस अभियान को एक नई पहचान दी है। ओडिशा समेत पूरे देशवासियों के प्रयासों ने इस राष्ट्रीय अभियान को एक सशक्त जनआंदोलन में बदल दिया है।
अभियान केवल एक संख्या तक सीमित नहीं
प्रधान ने कहा है कि यह अभियान केवल एक संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारे प्रेम और जिम्मेदारी की अभिव्यक्ति है। यह एक ऐसा समर्पण है भविष्य के लिए, जहाँ प्रकृति को हमारे जीवन का अविभाज्य हिस्सा माना जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, जो वैश्विक सतत विकास प्रयासों को दिशा देता है, के अनुसार—जलवायु संकट का समाधान केवल नई तकनीकों से नहीं, बल्कि हमारे जीवनशैली में बदलाव लाकर ही संभव है। इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिशन लाइफ’ की शुरुआत की है।
डिजिटल और सुलभ बना विशाल पर्यावरणीय ज्ञान
महात्मा गांधी ने एक अत्यंत प्रेरणादायक बात कही थी – “तुम वही परिवर्तन बनो, जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।” यह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि सभी छात्र-छात्राएँ, शिक्षक-शिक्षिकाएँ और अभिभावकगण जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ इस परिवर्तन के उत्कृष्ट प्रतिनिधि बन रहे हैं। इसका प्रमाण है – 29 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं द्वारा 50 लाख से अधिक पौधों के लिए क्यूआर कोड तैयार किया गया है। इस प्रक्रिया ने भारत के विशाल पर्यावरणीय ज्ञान को डिजिटल और सुलभ बना दिया है।
सबसे बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने का आह्वान
प्रधान ने देशवासियों से अनुरोध करते हुए कहा कि सभी लोग अपनी मां के नाम पर एक पेड़ अवश्य लगाएं। उस पेड़ की सुरक्षा और देखभाल करें। उसे बड़ा होने दें और उसकी कहानी दूसरों को भी बताएं। हम जो भी पौधा लगाते हैं, वह एक संदेश लेकर आता है कि हम प्रकृति के प्रति सजग हैं और उसकी रक्षा के लिए समर्पित हैं। जब एक व्यक्ति एक पेड़ लगाता है, वह एक उम्मीद बोता है — और यही उम्मीद भविष्य में एक हरित आंदोलन का बीज बनेगी, ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। धरती मां की सुरक्षा के लिए देश का सबसे बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने का आह्वान प्रधान ने किया है।