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ओडिशा सरकार ने सेवानिवृत्ति उपादान नियमों में भी किया संशोधन
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने नवीन ‘ओडिशा सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियमावली 2025’ के अंतर्गत प्रशासनिक अधिकारियों को इस्तीफा वापस लेने के लिए 90 दिनों का समय देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय राज्य सरकार के वित्त विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से घोषित किया गया।
नए प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई अधिकारी इस्तीफा देने के बाद 90 दिनों के भीतर आवेदन करता है, तो नियुक्ति प्राधिकारी सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए इस्तीफे को रद्द करने की अनुमति दे सकता है। हालांकि, इस अवधि में अधिकारी की सेवा में गैरहाजिरी 90 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले, इस्तीफे की वापसी केवल उन्हीं मामलों में संभव थी जब अधिकारी ने जबरदस्त निजी कारणों से इस्तीफा दिया हो, और उसकी ईमानदारी, कार्यकुशलता या व्यवहार पर कोई प्रश्नचिन्ह न हो। इसके साथ ही परिस्थितियों में उल्लेखनीय परिवर्तन की आवश्यकता भी होती थी।
अब नए संशोधन के अनुसार, इस्तीफा वापसी के समय पद रिक्त होना या समकक्ष पद का उपलब्ध होना अनिवार्य कर दिया गया है।
सेवानिवृत्ति उपादान (ग्रेच्युटी) की सीमा में बदलाव
वित्त विभाग की अधिसूचना के अनुसार, जो कर्मचारी 31 दिसंबर 2023 या उससे पहले सेवानिवृत्त हुए हैं, उनके लिए अधिकतम उपादान की सीमा 15 लाख रुपये बनी रहेगी। जबकि 1 जनवरी 2024 या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए यह सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है।
राज्य न्यायिक सेवा के अधिकारियों के लिए यह सीमा और अधिक बढ़ाई गई है, 1 जनवरी 2024 या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले न्यायिक अधिकारियों को अधिकतम 25 लाख रुपये तक उपादान मिलेगा।
क्यों किया गया यह संशोधन?
सरकार का यह कदम अनुभवी और योग्य अधिकारियों को सेवामें बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी अधिकारी को यदि निजी कारणों से इस्तीफा देना पड़े , तो भविष्य में वह परिस्थिति बदलने पर अपनी सेवा फिर से आरंभ कर सके।
यह संशोधन प्रशासनिक कार्यक्षमता, पारदर्शिता और मानव संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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