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ओडिशा बनेगा देश का अगला पेट्रोकेमिकल हब

  • 10 वर्षों में 1.2 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य

भुवनेश्वर। खनिज संपदा से समृद्ध और भारत के पूर्वी समुद्री तट पर स्थित ओडिशा अब खुद को देश के प्रमुख औद्योगिक और पेट्रोकेमिकल केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने आगामी 10 वर्षों में 1.2 लाख करोड़ रुपये (लगभग 14.1 अरब डॉलर) के निवेश को आकर्षित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिससे न केवल ओडिशा की आर्थिक तस्वीर बदलेगी बल्कि भारत को रसायन उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाने में भी बड़ी भूमिका निभाएगी।

पारादीप बनेगा औद्योगिक क्रांति का केंद्र

इस औद्योगिक परिवर्तन का केंद्र बिंदु होगा जगतसिंहपुर जिले का पारादीप, जहां भारतीय तेल निगम लिमिटेड (आईओसीएल) द्वारा एक अत्याधुनिक डुअल-फीड नेफ्था क्रैकर यूनिट स्थापित की जा रही है। यह परियोजना 61,077 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की जाएगी और यह आईओसीएल का अब तक का किसी एक स्थान पर सबसे बड़ा निवेश होगा।

इस पेट्रोकेमिकल परिसर में डुअल-फीड क्रैकर के साथ-साथ फिनोल, प्रोपाइलीन (पीपी), आइसोप्रोपाइल अल्कोहल (आईपीए), हाई-डेंसिटी पॉलीएथिलीन (एचडीपीई), लाइनियर लो-डेंसिटी पॉलीएथिलीन (एलएलडीपीई), पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) और ब्यूटाडीन जैसे रसायनों के निर्माण के लिए डाउनस्ट्रीम यूनिट्स भी शामिल होंगी। ये सभी रसायन फार्मास्युटिकल्स, एग्रोकेमिकल्स, पेंट-कोटिंग्स, चिपकने वाले उत्पादों और अन्य विशेष रासायनिक उत्पादों के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं।

राज्य को भी होगा प्रत्यक्ष लाभ

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस परियोजना में ओडिशा सरकार की भी इक्विटी हिस्सेदारी होगी, जिससे न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि राज्य को लंबी अवधि में लाभांश और कर प्राप्तियों का भी लाभ मिलेगा। साथ ही,आईओसीएल अपने मौजूदा 15 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष (एमएमटीपीए) के पारादीप रिफाइनरी की क्षमता को बढ़ाकर 25 एमएमटीपीए करने की योजना पर भी काम कर रहा है।

पेट्रोकेमिकल्स से आगे भी फैलेगी औद्योगिक नीति

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की हालिया दिल्ली यात्रा के दौरान राज्य सरकार ने पेट्रोकेमिकल्स के अलावा ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त करने के लिए भी कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (आईएसपीआरएल) और पेट्रोनेट एलएनजी के साथ हुए एमओयू शामिल हैं। इस यात्रा के पहले दिन ओडिशा को 3,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, वहीं 11 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए, जिनका कुल मूल्य 27,595 करोड़ रुपये था। ये निवेश राज्य में लगभग 48,390 नौकरियों के अवसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं। मुख्यमंत्री ने एचसीएल टेक की चेयरपर्सन रोशनी नाडार मल्होत्रा से भी मुलाकात की और राज्य में आईटी विस्तार एवं तकनीकी-सांस्कृतिक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।

वैश्विक स्तर की सुविधाएं और आकर्षक नीतियां

ओडिशा सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक समग्र रणनीति अपनाई है, जिसमें पूंजी निवेश सब्सिडी, पारादीप पोर्ट के पास भूमि की उपलब्धता, विश्वसनीय और सस्ती बिजली आपूर्ति, तथा जल संसाधनों की गारंटी शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य का औद्योगिक ढांचा अब चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के समकक्ष तैयार किया जा रहा है। डुअल-फीड क्रैकर और डाउनस्ट्रीम यूनिट्स का यह बड़ा प्रोजेक्ट भारत की आयात निर्भरता को कम करेगा और घरेलू उत्पादन श्रृंखला को मजबूती प्रदान करेगा।

पूर्वी भारत को मिलेगा नया औद्योगिक आयाम

भारतीय ऑयल की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग प्रतिबद्धता, राज्य सरकार की सक्रिय नीति और वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार हो रहे बुनियादी ढांचे के साथ ओडिशा अब देश की ऊर्जा बदलाव यात्रा और उत्पादन-आधारित वृद्धि का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की राह पर है।

यदि सब कुछ योजना के अनुसार आगे बढ़ा, तो अगले दस वर्षों में अनुमानित 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश न केवल पारादीप का कायाकल्प करेगा, बल्कि पूरे पूर्वी भारत की औद्योगिक संरचना को भी नई दिशा देगा।

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