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श्रद्धा और भक्ति के साथ मनी जगद्गुरु रामानुजाचार्य की 1009वीं जयंती

  • त्रिदंडी श्रीलक्ष्मी जीयर स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में भव्य शोभायात्रा

  • श्री जगन्नाथ मंदिर की परिक्रमा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

पुरी। संत परंपरा और भक्ति पर आधारित भारतीय संस्कृति के महान संत जगतगुरु रामानुजाचार्य की 1009वीं जयंती पर पुरी में आयोजित महोत्सव भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक चेतना से सराबोर रहा। इस भव्य अवसर का आयोजन श्रीरामचंद्र स्वामी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेकटेश बालाजी मंदिर परिसर, पुरी में किया गया।

इस महोत्सव की सबसे विशेष कड़ी रही शोभायात्रा, जो बिहार के बक्सर से पधारे त्रिदंडी श्रीलक्ष्मी जीयर स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में निकाली गई। इस शोभायात्रा में 2000 से अधिक श्रद्धालु, महिला-पुरुष भक्तों के साथ-साथ सैकड़ों पीठाधीश्वर शामिल हुए। शोभायात्रा ने श्रीजगन्नाथ मंदिर की परिक्रमा कर आध्यात्मिक वातावरण को भाव-विभोर कर दिया।

दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ उद्घाटन

स्वामी इंद्रारमण रामानुजाचार्य, जो ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं, ने दीप प्रज्वलित कर इस जयंती महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर संगीतमय भजन-कीर्तन, वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ श्रद्धालुओं ने रामानुजाचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

रामानुजाचार्य की जीवनी पर आधारित स्मारिका का विमोचन

त्रिदंडी श्रीलक्ष्मी जीयर स्वामी जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित इस महोत्सव के दौरान रामानुजाचार्य जी की जीवनगाथा पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया गया। इस स्मारिका में उनकी भक्ति, दर्शन, समाज सुधार और समरसता के संदेशों का संकलन किया गया है।

देशभर से पहुंचे पीठाधीश्वर

इस पावन अवसर पर अयोध्या, मथुरा, वृंदावन, बक्सर, बलिया, आरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों मंदिरों के पीठाधीश्वर पुरी पधारे। यह आयोजन न केवल एक जयंती उत्सव था, बल्कि संत परंपरा की अखंडता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन गया।

महोत्सव में ओडिशा विद्वत परिषद के अध्यक्ष, अयोध्या नाथ स्वामी, माँ आरण्य देवी मंदिर के प्रधान महंत मनोज बाबा, मुक्तिनाथ स्वामी, चतुर्भुज स्वामी, वैकुंठ नाथ स्वामी, श्रीकांत जी, राधाकृष्ण जी, शिवचन्द जी, राजेश तिवारी, अरविंद तिवारी, पंकज कुमार समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इन सभी ने रामानुजाचार्य जी की शिक्षाओं और उनके सामाजिक योगदान की सराहना करते हुए उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का आह्वान किया।

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