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सीबीआई ने शुरू की जांच
भुवनेश्वर। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने पारादीप पोर्ट अथॉरिटी (पीपीए) के 65 करोड़ रुपये के आवासीय परियोजना ठेके में धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों की जांच तेज कर दी है। इस मामले में हैदराबाद स्थित कंपनी पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए ठेका प्राप्त करने का आरोप है।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई अधिकारियों ने इस मामले में हैदराबाद और पारादीप समेत कई स्थानों पर छापेमारी की है। जांच एजेंसी की एक टीम ने पारादीप पोर्ट अथॉरिटी के रोड और बिल्डिंग डिवीजन के कार्यालय और इसके सिविल कार्यकारी अभियंता गंगाधर सेठी के आवास पर भी तलाशी अभियान चलाया।
सीबीआई ने दर्ज एफआईआर में हैदराबाद की डीएनसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और पारादीप पोर्ट के कार्यकारी अभियंता गंगाधर सेठी को नामजद किया है।
कैसे हुआ घोटाला?
इस परियोजना के तहत पारादीप के नुआबाजार इलाके में पोर्ट कर्मचारियों के लिए 350 आवासीय क्वार्टरों के निर्माण और भविष्य में विस्तार के लिए भूमि आरक्षित करने की योजना थी। परियोजना की अनुमानित लागत 65.76 करोड़ रुपये थी।
26 फरवरी 2024 को डीएनसी इंफ्रास्ट्रक्चर को ठेके के लिए लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया था। इसके तहत कंपनी को 2.63 करोड़ की सुरक्षा जमा राशि देनी थी, जिसकी गारंटी कोलकाता स्थित इंडियन बैंक से दी गई थी, लेकिन जांच में सामने आया कि यह बैंक गारंटी फर्जी थी और ईमेल पुष्टि भी जाली थी। इसी के आधार पर जून 2024 में अनुबंध जारी किया गया।
सीबीआई की कार्रवाई और सबूत
सीबीआई ने इस मामले में कंपनी और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान बकाया भुगतान न मिलने की शिकायत करने वाले ठेकेदारों ने भी इस मामले को उजागर किया।
स्थानीय पुलिस के पास मामला दर्ज होने के बावजूद जांच आगे नहीं बढ़ी, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसी को दखल देना पड़ा।
अनुबंध के अनुसार, परियोजना 21 जून 2024 से शुरू होकर 20 दिसंबर 2025 तक पूरी होनी थी। सीबीआई की छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं। जांच अभी जारी है और इस मामले में जल्द ही और खुलासे हो सकते हैं।