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ओडिशा में पहली से आठवीं कक्षा के लिए होगा नया पाठ्यक्रम 

  • अगले 2026-27 सत्र से होगा लागू

  • स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड ने की घोषणा

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने स्कूल शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला किया है। स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड ने शनिवार को इसकी घोषणा की। यह नया पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नया पाठ्यक्रम शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किया जाएगा। इसमें भाषा, संस्कृति और विरासत पर विशेष जोर दिया जाएगा ताकि छात्रों को अपनी क्षेत्रीय परंपराओं और पहचान की गहरी समझ मिल सके।
प्रवेश आयु को लेकर स्थिति स्पष्ट
स्कूल प्रवेश की न्यूनतम आयु को लेकर चल रही बहस पर भी मंत्री ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के नियम के अनुसार बच्चों की उम्र पहली मार्च तक 6 वर्ष होनी चाहिए, जबकि ओडिशा सरकार ने यह सीमा पहली सितंबर तय की है।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय उसकी शैक्षिक नीति के अनुरूप है और इससे छात्रों के हितों की रक्षा होगी। यह बदलाव ओडिशा की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के साथ-साथ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगा।
 
जर्जर कक्षाओं के तत्काल नवीनीकरण के दिए निर्देश

राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों की अवसंरचना की व्यापक समीक्षा शुरू की है। छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभाग ने सभी राज्य वित्तपोषित संस्थानों से तत्काल रिपोर्ट मांगी है, ताकि जर्जर और असुरक्षित इमारतों की पहचान कर आवश्यक कदम उठाए जा सकें। विभाग ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश दिया है कि वे असुरक्षित और जर्जर इमारतों का मूल्यांकन कर बिना देरी के अपनी रिपोर्ट सौंपें।

उच्च शिक्षा विभाग का पत्र

विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि यह जानकारी मिली है कि कई कॉलेजों की कक्षाएं, प्रयोगशालाएं, कार्यालय भवन, शौचालय आदि जर्जर अवस्था में हैं, जो छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए खतरा बन सकते हैं। पत्र में आगे कहा गया कि ऐसी इमारतों की तत्काल समीक्षा कर उन्हें सक्षम प्राधिकरण द्वारा असुरक्षित घोषित किया जाए और इसकी रिपोर्ट तुरंत विभाग को भेजी जाए। साथ ही, कॉलेज अवसंरचना के समुचित विकास के लिए आवश्यक वित्तीय मांग भी प्रस्तुत की जाए, जिससे निर्माण और मरम्मत कार्य किया जा सके।

तत्काल रिपोर्टिंग और सुधार के निर्देश

कॉलेज प्राचार्यों को अपने संस्थानों में असुरक्षित हालात की जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा।

इन जर्जर भवनों से छात्रों और कर्मचारियों को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे में, विभाग ने तुरंत इन इमारतों को असुरक्षित घोषित करने और उनके स्थान पर वैकल्पिक शैक्षिक सुविधाओं की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि असुरक्षित कॉलेज भवनों का मुद्दा पहले भी विधानसभा में उठाया जा चुका है, जिससे इस मामले की गंभीरता स्पष्ट होती है।

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