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पुरी में राजकीय सम्मान के साथ रमाकांत रथ का अंतिम संस्कार

  • बेटा पिनाकी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी

पुरी। ओड़िया के प्रसिद्ध कवि और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रमाकांत रथ का सोमवार को पुरी के स्वर्गद्वार में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। पद्म भूषण से सम्मानित कवि को ओडिशा पुलिस द्वारा पूर्ण राजकीय सम्मान दिए जाने के बाद रथ के बेटे पिनाकी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
इससे पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी रथ के आवास पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रथ का रविवार को 90 वर्ष की आयु में यहां उनके आवास पर निधन हो गया।
रविवार रात दिल्ली के दौरे से लौटे मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह रथ के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा और संस्कृति मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने भी रथ को श्रद्धांजलि अर्पित की।
माझी ने कहा कि राज्य ने एक महान सपूत खो दिया। कवि रमाकांत रथ आधुनिक ओड़िया साहित्य के अग्रणी लेखक थे। वह एक कुशल प्रशासक भी थे और उन्होंने 1990 से 1992 तक मुख्य सचिव के रूप में जिम्मेदारियां संभालीं। उन्होंने कहा कि रथ की ‘श्री राधा’ कविता ओड़िया साहित्य में उत्कृष्ट रचना बनी रहेगी।
विपक्ष के नेता एवं बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष नवीन पटनायक ने अपने शोक संदेश में कहा कि प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार रमाकांत रथ के निधन की खबर सुनकर मुझे दुख हुआ। उन्होंने आधुनिक उड़िया साहित्य को समृद्ध बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। अपनी अनूठी लेखन शैली के कारण वह पाठकों के दिलों में अमर रहेंगे। मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और रथ की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।
रथ के प्रमुख काव्य संग्रहों में केते दिनारा (1962), अनेक कोठरी (1967), सप्तम ऋतु (1977), सचित्र अंधारा (1982), श्री राधा (1985) और श्रेष्ठ कविता (1992) शामिल हैं। उनकी कई कविताओं का अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है।
रथ को वर्ष 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1984 में सरला पुरस्कार, वर्ष 1990 में विषुव सम्मान और 2009 में साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया था।
साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। रथ 1993 से 1998 तक केंद्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष और 1998 से 2003 तक अध्यक्ष भी रहे।

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