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प्रख्यात कवि रमाकांत रथ के निधन पर राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया

भुवनेश्वर। ओड़िया साहित्य के महान कवि और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित रमाकांत रथ के निधन पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने रमाकांत रथ के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उनका निधन भारतीय साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया संदेश में लिखा कि प्रख्यात कवि श्री रमाकांत रथ जी के निधन के बारे में जानकर मुझे बहुत दुख हुआ है। रमाकांत रथ भारतीय साहित्य जगत की एक प्रमुख विभूति थे। उन्हें पद्म भूषण सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ओड़िया साहित्य में अपने चिरस्मरणीय योगदान द्वारा उन्होंने अखिल भारतीय साहित्य को समृद्ध किया है। मैं उनके शोक संतप्त परिवारजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।
केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी रमाकांत रथ के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि यह ओड़िया साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि ओडिशा के प्रसिद्ध कवि और पद्मभूषण पुरस्कार प्राप्त रमाकांत रथ के निधन की खबर सुनकर मैं बहुत दुखी और मर्माहत हूँ। कविता के माध्यम से उन्होंने ओडिया साहित्य को समृद्ध किया, और उनकी साहित्यिक यात्रा का योगदान अतुलनीय है।
उन्होंने आगे कहा कि कि केंद्रीय साहित्य पुरस्कार प्राप्त रमाकांत रथ की रचनाओं में आध्यात्मिक और आदिभौतिक कल्पनाओं का सुंदर समावेश था। उनकी कालजयी कविताएँ ओडिया जनमानस में हमेशा जीवित रहेंगी।
उन्होंने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने जताया दुख
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी रमाकांत रथ के निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय रमाकांत रथ भारतीय साहित्य जगत के उन महान कवियों में से एक थे, जिनकी रचनाएँ सदियों तक याद रखी जाएंगी। उनकी काव्य रचनाएँ ‘सप्तम ऋतु’, ‘श्री राधा’, ‘सचित्र अंधार’, ‘केते दिनर’, ‘दुआर एपटू’, ‘न जा न जा कहुकहु’ जैसी कालजयी रचनाओं के माध्यम से ओडिया साहित्य को अमर कर दिया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रथ ने राज्य के प्रशासनिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे विभिन्न विभागों के सचिव और मुख्य शासन सचिव के रूप में कार्य कर चुके थे। ओड़िया साहित्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में उनका योगदान अतुलनीय रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान, केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार और सारला पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे, और वे केंद्रीय साहित्य अकादमी के फेलोशिप से भी सम्मानित हुए थे।
मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि रमाकांत रथ का निधन ओड़िया साहित्य और प्रशासनिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
साहित्य जगत में शोक की लहर
रमाकांत रथ के निधन से ओड़िया साहित्य और भारतीय काव्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके योगदान को याद करते हुए साहित्यकारों और पाठकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी कालजयी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।
उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने जताया शोक
उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने प्रसिद्ध ओड़िया कवि और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामकांत रथ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
अपने शोक संदेश में सिंहदेव ने कहा कि पद्मभूषण से सम्मानित रामकांत रथ जी के निधन से साहित्य और प्रशासनिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। वे अपनी उत्कृष्ट काव्य रचनाओं और प्रशासनिक सेवाओं के लिए सदैव याद किए जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि दिवंगत कवि की अंतिम यात्रा पूरे सम्मान के साथ संपन्न होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने भगवान श्रीजगन्नाथ से प्रार्थना की कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और शोक संतप्त परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

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