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भुवनेश्वर में होली बंधु मिलन समारोह में राजस्थानी संस्कृति की झलक

  •  समारोह में कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला

भुवनेश्वर। भुवनेश्वर स्थित तेरापंथ भवन में रंगों के त्योहार होली पर आयोजित बंधु मिलन समारोह में कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। यहां उत्कल बिल्डर के निदेशक और अध्यक्ष सुभाष भुरा-अंजना भुरा तथा रंग रसिया मंडल के तत्वावधान में होली बंधु मिलन समारोह का भव्य आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाई दी, जहां पारंपरिक लोकगीतों और नृत्य की धुन पर लोग झूमते नजर आए।

राजस्थानी माहौल में रंगा आयोजन

यह समारोह न केवल होली के उत्सव का प्रतीक था, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण था कि राजस्थान की खुशबू भुवनेश्वर में भी जीवंत है। सजावट से लेकर परिधानों तक, हर चीज़ में राजस्थानी परंपरा की झलक मिली। आयोजन स्थल पर पुरुष जहां राजस्थानी साफा (पगड़ी) पहने नजर आए, वहीं महिलाएं पारंपरिक लहंगे-ओढ़नी में सजी-धजी थीं।

समारोह की शुरुआत पारंपरिक होली गीतों से हुई, जिसमें लोकगायकों ने राजस्थान की प्रसिद्ध फाग, गैर और चंग पर आधारित गीत प्रस्तुत किए। जैसे ही “केसरिया बालम” और “होली खेले रघुवीरा” जैसे लोकगीत गूंजे, वहां मौजूद हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो गया।

मिट्टी से जुड़ाव का भाव

इस आयोजन ने यह साबित किया कि राजस्थान से दूर रहने के बावजूद प्रवासी मारवाड़ी समाज अपने मिट्टी की खुशबू से दूर नहीं हुआ है। वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखते हैं और समय-समय पर इसे मनाने का अवसर भी निकालते हैं। इस मिलन समारोह के दौरान विभिन्न पीढ़ियों के लोग एक साथ आए और अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एहसास किया।

हर उम्र के लोगों ने लोकनृत्य का आनंद लिया

राजस्थानी परंपरा के अनुरूप, इस आयोजन में हर उम्र के लोगों ने लोकनृत्य का आनंद लिया। पारंपरिक घूमर और गेर नृत्य की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। ढोल की थाप पर जब पुरुषों ने चंग नृत्य किया, तो पूरे माहौल में उत्साह और उमंग भर गया।

भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश

इस समारोह में न केवल राजस्थानी समुदाय के लोग शामिल हुए, बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी इस रंगारंग आयोजन के साक्षी बने और राजस्थानी लोकसंगीत का आनंद लिया। यह आयोजन एकता और समरसता का प्रतीक बन गया, जहां भाषा, क्षेत्र और समुदाय की सीमाओं को पार कर सभी ने मिलकर होली के रंगों में सराबोर होने का आनंद लिया।

प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारा बनाए रखें – सुभाष 

सुभाष भुरा ने सभी को होली की शुभकामनाएं दी और कहा कि होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारे का भी प्रतीक है और हमें इसे बनाए रखना है।

समापन में यादगार अनुभव

इस कार्यक्रम ने एक बार फिर साबित किया कि परंपराएं हमें एक-दूसरे से जोड़ती हैं और संस्कृति को जीवंत बनाए रखती हैं। यह आयोजन न केवल एक होली मिलन समारोह था, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, लोककला और भाईचारे का उत्सव भी था।

संस्कृति और विरासत को सहेजने का संदेश

भुवनेश्वर में बसे मारवाड़ी समाज और अन्य समुदायों के लिए यह अवसर विशेष रहा, जहां उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़ाव महसूस किया और अपनी परंपराओं को सहेजने का संदेश मिला। इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि हमें अपनी संस्कृति और विरासत को संजोकर रखना चाहिए, चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों।

 

 

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