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ड्रिप-III को 1066.38 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से छह वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा
भुवनेश्वर। ओडिशा कैबिनेट ने 11 प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें से तीन परियोजनाएं डैम पुनर्वास और सुधार परियोजना-III (ड्रिप-III) के तहत लागू की जाएंगी। ड्रिप-III को 1066.38 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से छह वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा, और इसे विश्व बैंक तथा एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) की सहायता से विदेश से वित्तपोषित परियोजना के तहत लागू किया जाएगा।
इस संबंध में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने शनिवार को जानकारी दी कि हीराकुद डैम के लिए अतिरिक्त स्पिलवे का निर्माण किया जाएगा, जो अतिरिक्त बाढ़ के पानी के सुरक्षित प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, हीराकुद डैम की स्थिति का अंडर वाटर, ग्राउंड और एरियल सर्वे भी किया जाएगा और इसके पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
हीराकुद डैम के मौजूदा गेट्स और प्रस्तावित अतिरिक्त स्पिलवे गेट्स को स्वचालित बनाने के लिए एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रणाली से गेट्स का संचालन पूरी तरह से स्वचालित होगा, जिससे इसकी कार्यकुशलता और सुरक्षा में वृद्धि होगी।
उपकरणों और आधुनिक मशीनों का उपयोग करते हुए हीराकुद डैम की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा और पुनर्वास उपायों के लिए उच्चतम गुणवत्ता की सामग्री का चयन किया जाएगा। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जाएगी, ताकि पुनर्वास कार्य की पूरी प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण हो सके और डैम की दीर्घायु में वृद्धि हो सके।
एससीएडीए प्रणाली का उपयोग करके मैन्युअल गेट संचालन को रिमोट ऑपरेशन सिस्टम से बदला जाएगा, जिससे निगरानी और नियंत्रण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की निगरानी में पूरी की जाएगी, जो डैम के संचालन और सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि ड्रिप-III की यह पहल हीराकुद डैम की सुरक्षा और स्थायित्व को और मजबूत करेगी।
इस संबंध में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने शनिवार को जानकारी दी कि हीराकुद डैम के लिए अतिरिक्त स्पिलवे का निर्माण किया जाएगा, जो अतिरिक्त बाढ़ के पानी के सुरक्षित प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, हीराकुद डैम की स्थिति का अंडर वाटर, ग्राउंड और एरियल सर्वे भी किया जाएगा और इसके पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
हीराकुद डैम के मौजूदा गेट्स और प्रस्तावित अतिरिक्त स्पिलवे गेट्स को स्वचालित बनाने के लिए एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रणाली से गेट्स का संचालन पूरी तरह से स्वचालित होगा, जिससे इसकी कार्यकुशलता और सुरक्षा में वृद्धि होगी।
उपकरणों और आधुनिक मशीनों का उपयोग करते हुए हीराकुद डैम की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा और पुनर्वास उपायों के लिए उच्चतम गुणवत्ता की सामग्री का चयन किया जाएगा। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जाएगी, ताकि पुनर्वास कार्य की पूरी प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण हो सके और डैम की दीर्घायु में वृद्धि हो सके।
एससीएडीए प्रणाली का उपयोग करके मैन्युअल गेट संचालन को रिमोट ऑपरेशन सिस्टम से बदला जाएगा, जिससे निगरानी और नियंत्रण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की निगरानी में पूरी की जाएगी, जो डैम के संचालन और सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि ड्रिप-III की यह पहल हीराकुद डैम की सुरक्षा और स्थायित्व को और मजबूत करेगी।