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सहकारी बैंकों की एनपीए समस्या होगी कम
भुवनेश्वर। सहकारिता विभाग ने ओडिशा राज्य सहकारी बैंक (ओएससीबी), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी), शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) के लिए एक मॉडल एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य सहकारी बैंकों और पीएसीएस की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को कम करना और उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।
योजना की मुख्य बातों के अनुसार, यह ओटीएस योजना हर वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से 30 अक्टूबर तक छह महीने के लिए लागू की जाएगी। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कट-ऑफ तिथि 31 मार्च 2023 निर्धारित की गई है। कट-ऑफ तिथि तक डाउटफुल या लॉस एसेट्स में बदल चुके सभी ऋण ओटीएस के लिए पात्र होंगे। पीएसीएस/एलएएमपीसीएस द्वारा दिए गए अल्पकालिक फसल ऋण, पूरी तरह से सुरक्षित ऋण, गोल्ड लोन, टाई-अप अरेंजमेंट के तहत दिए गए ऋण और जानबूझकर डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ताओं के ऋण इस योजना के दायरे में नहीं आएंगे। प्रत्येक बैंक में एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया जाएगा जो उधारकर्ताओं की पात्रता की जांच करेगी। बैंक अधिकारियों को पात्र प्रस्तावों की मंजूरी के लिए वित्तीय अधिकार दिए जाएंगे, जिनकी समीक्षा उच्च अधिकारी करेंगे। योजना के तहत 25 लाख तक की बुक देनदारी वाले ऋण शामिल किए जा सकेंगे। पीएसीएस के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये निर्धारित की गई है। संपत्तियों को उनके आकार और गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत कर समझौता फॉर्मूला सुझाया गया है। कानूनी कार्रवाई के अधीन ऋण भी इस योजना के तहत निपटान के लिए विचार किए जा सकेंगे। कोई भी उधारकर्ता ओटीएस को अपना अधिकार नहीं मान सकता। बैंक किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र होंगे। ओटीएस का लाभ लेने वाले व्यक्ति को न्यूनतम तीन वर्षों तक कोई नया ऋण नहीं मिलेगा। शिकायत निवारण तंत्र भी प्रस्तावित किया गया है और बैंकों से प्राप्त रचनात्मक सुझावों के आधार पर योजना की समीक्षा की जाएगी।
इस पहल के माध्यम से सहकारिता विभाग लंबे समय से लंबित गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को समाप्त करने का प्रयास कर रहा है। इस योजना से सहकारी बैंकों को अपने बैलेंस शीट को साफ करने और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करने का एक बेहतर अवसर मिलेगा।