भुवनेश्वर। राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित कुलधरा भारत का एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी गांव है, जिसे शापित माना जाता है। यह गांव कभी पालीवाल ब्राह्मणों का समृद्ध और सांस्कृतिक केंद्र था, लेकिन आज यह वीरान और खंडहरों से भरा हुआ है।
लोककथाओं के अनुसार, 19वीं सदी में पालीवाल ब्राह्मण इस गांव को अचानक एक रात में छोड़कर चले गए थे। इसके पीछे की वजह जैसलमेर के तत्कालीन दीवान सालिम सिंह की क्रूरता और लालच थी। ऐसा कहा जाता है कि दीवान ने गांव की एक लड़की पर बुरी नजर डाली थी और शादी के लिए दबाव डाला था। इसके चलते पालीवाल ब्राह्मणों ने अपने सम्मान और स्वाभिमान को बचाने के लिए गांव छोड़ने का फैसला किया। कहते हैं, गांव छोड़ते समय ब्राह्मणों ने इसे श्राप दिया कि यहां कोई भी बस नहीं सकेगा। तब से लेकर आज तक जो भी यहां बसने की कोशिश करता है, उसे अजीब घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
कुलधरा का रहस्य और भूतिया अनुभव आज कुलधरा भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां खंडहरों के बीच घूमते हुए रहस्यमय सन्नाटा और अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक यहां पर भूतिया घटनाओं की कहानियां सुनाते हैं, जिससे इसका रहस्य और गहराता है। यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है। दिन में यहां पर्यटकों की चहल-पहल रहती है, लेकिन रात होते ही यह गांव वीरान हो जाता है।
कुलधरा का इतिहास, संस्कृति, और रहस्य इसे न केवल एक दर्शनीय स्थल बनाता है, बल्कि एक ऐसी जगह भी बनाता है जो आपको समय, विश्वास और भय के अद्भुत संगम का अनुभव कराती है।
Disclaimer: यह सामग्री राजस्थान के कुलधरा गांव से जुड़े रहस्यों और जनश्रुतियों पर आधारित है। प्रस्तुत जानकारी ऐतिहासिक तथ्यों, किंवदंतियों और कहानियों का संकलन है। इसका उद्देश्य पाठकों को सूचित करना और मनोरंजन प्रदान करना है। इसमें वर्णित घटनाओं, कथाओं और अनुभवों की सत्यता का दावा नहीं किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे किसी प्रकार की धार्मिक, सांस्कृतिक या व्यक्तिगत आस्थाओं पर आधारित सटीक प्रमाण के रूप में न लें। यदि आप इस स्थान की यात्रा करने की योजना बनाते हैं, तो स्थानीय नियमों और प्राधिकरणों के निर्देशों का पालन करें। लेखक या प्रकाशक इस सामग्री से जुड़े किसी भी विवाद या घटना के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
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