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मयूरभंज में छऊ अकादमी और सांस्कृतिक अनुसंधान केंद्र की होगी स्थापना

  • मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने की घोषणा

  • भुवनेश्वर में शुरू हुआ तीन दिवसीय मयूरभंज उत्सव

  • मयूरभंज की माटी कला और संस्कृति की माटी है – मुख्यमंत्री

  • बारिपदा में 60 करोड़ रुपये निवेश से बुढ़ाबलंग रिवरफ्रंट का विकास किया जाएगा

भुवनेश्वर। मयूरभंज जिले का गौरवपूर्ण इतिहास सर्वविदित है। ओडिशा की माटी में मयूरभंज का योगदान विभिन्न क्षेत्रों में अतुलनीय है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शुक्रवार देर शाम भुवनेश्वर में आयोजित मयूरभंज उत्सव के अवसर पर ये बातें कहीं।
भुवनेश्वर के उत्कल मंडप में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पहले मयूरभंज के महानुभाव महाराजा श्रीरामचंद्र भंजदेव के 150वें जन्मतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन काल में मयूरभंज राज्य के कई विकास कार्य राज परिवार द्वारा संपन्न किए गए थे। आज मयूरभंज का नाम कटक में मेडिकल कालेज की स्थापना और ओडिशा के गौरवमयी महाराजा श्रीरामचंद्र भंजदेव के योगदान से प्रसिद्ध है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मयूरभंज की माटी कला और संस्कृति की माटी है। इस जिले ने अनेक महान कवियों, कलाकारों, जननेताओं, खिलाड़ियों और शिक्षाविदों को जन्म दिया है, जिन्होंने ओडिशा को गौरवान्वित किया है। मयूरभंज का छऊ नृत्य ओडिशा के गौरव का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने मयूरभंज में छऊ अकादमी और सांस्कृतिक अनुसंधान केंद्र की स्थापना की घोषणा की।
मयूरभंज का प्राकृतिक सौंदर्य, कला, संस्कृति और परंपरा हमेशा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। जिले का सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य भारत के श्रेष्ठ अभयारण्यों में से एक है। सिमिलिपाल में घने जंगल, दुर्लभ कला बाघ और कई प्रजातियों के जीव-जंतु, वनस्पतियां और जलप्रपात पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। जिले के देवकुंड, भीमकुंड, सीताकुंड, कुचई जैसी जलप्रपातों और बारिपदा के जगन्नाथ मंदिर जैसी ऐतिहासिक धरोहरें भी देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
पर्यटन क्षेत्र में जिले की प्रसिद्धि को देखते हुए, मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट के जैसी योजना के तहत बारिपदा में 60 करोड़ रुपये निवेश से बुढ़ाबलंग रिवरफ्रंट का विकास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मयूरभंज सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अद्वितीय कला-संस्कृति के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि इसकी आदिवासी परंपराएं भी अनूठी हैं। संताली भाषा और साहित्य में पंडित रघुनाथ मुर्मू का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत अब संताली भाषा में शिक्षा देने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने मयूरभंज जिले के विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार जिलेवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचा, परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। दिसंबर माह में राष्ट्रपति महोदय ने जिले में तीन रेलवे परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। ओडिशा के प्रत्येक जिले को औद्योगिक जिले के रूप में विकसित करने के लिए सरकार निरंतर काम कर रही है।
कार्यक्रम में गृह और नगरीय विकास मंत्री डॉ कृष्णचंद्र महापात्र ने कहा कि मयूरभंज कला, संस्कृति और प्रकृति का अद्भुत संगम है। अब समय आ गया है कि हम मयूरभंज की प्राकृतिक संपत्तियों में निवेश करें। मुख्यमंत्री मयूरभंजवासियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तत्पर हैं। हम सभी मिलकर जिले के विकास में भागीदार बनें और मुख्यमंत्री के समृद्ध ओडिशा निर्माण में मयूरभंज का योगदान सुनिश्चित करें।
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने कहा कि ओडिशा के इतिहास में मयूरभंज का एक अलग पहचान है। यह उत्सव मयूरभंजवासियों के लिए गर्व और गौरव का उत्सव है। हमें मयूरभंज की अस्मिता को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और मयूरभंज के महाराजा प्रवीण चंद्र भंजदेव, पूर्व सांसद और विधायक श्री वीरभद्र सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी डॉ प्रियंका मारांडी भी उपस्थित थीं। अतिथियों ने मयूरभंज उत्सव के अवसर पर स्मारिका का विमोचन किया। उत्सव समिति के अध्यक्ष श्री अरुण कुमार रथ ने स्वागत भाषण दिया और महासचिव डॉ राजनीकांत विश्वाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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