-
उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा ने एसडीएम को दिया कड़ा निर्देश
-
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को सख्ती से लागू करें
भुवनेश्वर। दहेज को सामाजिक कलंक बताते हुए उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा ने ओडिशा को दहेज मुक्त राज्य बनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने शुक्रवार को सभी उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से कहा कि वे ओडिशा को दहेज मुक्त राज्य बनाने के लिए दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को सख्ती से लागू करें।
महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रभारी परिडा ने दहेज निषेध अधिनियम के क्रियान्वयन पर एक बैठक के दौरान उप-कलेक्टरों या एसडीएम को यह निर्देश दिया, जिन्हें दहेज निषेध अधिकारी के रूप में नामित किया गया है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए परिडा ने कहा कि दहेज कोई परंपरा, संस्कृति या व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक कलंक है। उन्होंने कहा कि अधिनियम के लागू होने के 60 साल बाद भी समाज में दहेज की परंपरा कायम है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा को दहेज मुक्त राज्य बनाने के लिए एसडीएम की देखरेख में इस मुद्दे पर जमीनी स्तर पर चर्चा और बहस की जरूरत है।
नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है। इसलिए दहेज निषेध अधिकारी के रूप में अधिनियम के सख्त क्रियान्वयन के लिए उपजिलाधिकारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अधिनियम के तहत दहेज निषेध अधिकारियों को दहेज के मामलों में निवारक उपाय करने, जांच करने और साक्ष्य एकत्र करने का अधिकार दिया गया है। परिडा ने कहा कि हर अधिनियम का सफल क्रियान्वयन उचित और समय पर क्रियान्वयन और व्यापक जन जागरूकता पर निर्भर करता है। आज के डिजिटल युग में उन्होंने उपजिलाधिकारियों को सोशल मीडिया के माध्यम से दहेज कानून के बारे में जन जागरूकता पैदा करने का निर्देश दिया।
महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रभारी परिडा ने दहेज निषेध अधिनियम के क्रियान्वयन पर एक बैठक के दौरान उप-कलेक्टरों या एसडीएम को यह निर्देश दिया, जिन्हें दहेज निषेध अधिकारी के रूप में नामित किया गया है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए परिडा ने कहा कि दहेज कोई परंपरा, संस्कृति या व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक कलंक है। उन्होंने कहा कि अधिनियम के लागू होने के 60 साल बाद भी समाज में दहेज की परंपरा कायम है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा को दहेज मुक्त राज्य बनाने के लिए एसडीएम की देखरेख में इस मुद्दे पर जमीनी स्तर पर चर्चा और बहस की जरूरत है।
नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है। इसलिए दहेज निषेध अधिकारी के रूप में अधिनियम के सख्त क्रियान्वयन के लिए उपजिलाधिकारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अधिनियम के तहत दहेज निषेध अधिकारियों को दहेज के मामलों में निवारक उपाय करने, जांच करने और साक्ष्य एकत्र करने का अधिकार दिया गया है। परिडा ने कहा कि हर अधिनियम का सफल क्रियान्वयन उचित और समय पर क्रियान्वयन और व्यापक जन जागरूकता पर निर्भर करता है। आज के डिजिटल युग में उन्होंने उपजिलाधिकारियों को सोशल मीडिया के माध्यम से दहेज कानून के बारे में जन जागरूकता पैदा करने का निर्देश दिया।