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बाजरे की रोटी ने बटोरी वाहवाही
भुवनेश्वर। मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित बिस्वास, भुवनेश्वर के बंधुमिलन कार्यक्रम में परंपरा और स्वाद का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस आयोजन में जहां कविता और गीत-संगीत की प्रस्तुतियों ने तालिया बटोरी, वहीं बाजरे की रोटी ने खास आकर्षण बनकर सबका दिल जीत लिया। बाजरे की रोटी, जो स्वास्थ्यवर्धक और पारंपरिक भोजन का अभिन्न हिस्सा है, ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत संस्था के अध्यक्ष राजकुमार सिंह के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने बिस्वास की 25 वर्षों की सेवा यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि यह संगठन न केवल सामाजिक सेवा में सक्रिय है, बल्कि बिहार के पारंपरिक त्योहारों जैसे छठ, होली और मकर संक्रांति को सामूहिक रूप से मनाने की परंपरा को भी निभा रहा है।
इस आयोजन में भोज का मुख्य आकर्षण बाजरे की रोटी रही, जिसे खिचड़ी-चोखा, दही-चूड़ा, तिलकूट और लिट्टी-चोखा के साथ परोसा गया। बाजरे की रोटी का स्वाद और इसका स्वास्थ्यवर्धक पहलू सभी उपस्थितजनों को बेहद पसंद आया। यह पारंपरिक व्यंजन न केवल स्वाद में बेजोड़ है, बल्कि सर्दियों के मौसम में इसे ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत माना जाता है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी शाम
मशहूर बांसुरी वादक रत्नाकर त्रिपाठी उर्फ तनु जी ने अपनी धुनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिंदी कवि विक्रमादित्य सिंह ने मकर संक्रांति के महत्व पर आधारित अपनी कविता का सस्वर वाचन कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। बिहार पर आधारित कविता ने अपनी मिट्टी की यादें ताजा कर दी। बच्चों के लिए आयोजित क्विज प्रतियोगिता ने भी कार्यक्रम में उत्साह भरा, जिसमें विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक एकता और परंपरा का संदेश
कार्यक्रम के अंत में उपस्थितजनों ने सामूहिक भोज का आनंद लिया और बाजरे की रोटी को भोज का विशेष आकर्षण बताया। बिस्वास के इस आयोजन ने न केवल परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखा, बल्कि समाज में आत्मीयता और एकता का संदेश भी दिया।